हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|भजनामृत|निवेदन| कल कुँडल कान्ति कपोलन... निवेदन स्याम ! मने चाकर राखो ... हे मेरे गुरुदेव करुणा ... दीन दयाल शरण मैं तेरी... पितु मातु सहायक स्वामी... दिला दो भीख दर्शन की ... मिलता है सच्चा सुख के... नाथ मैं थारोजी थारो !... भगवान् तुम्हारे चरणों ... सुनो श्यामसुन्दर बिनती ... हे दयामय ! दीनबन्धो !!... तू दयालु , दीन हौं , तू... प्रभु मेरे अवगुण चित ... सालगराम ! सुनो बिनती म... नाथ ! थारै सरण पड़ी दा... कृष्ण मुरारी शरण तुम्ह... तोसे अरज करुँ साँवरिया... मंगल मूरति मारुत -नंदन ... अब तो निभायाँ सरेगी ब... दीनन दुख हरण देव संतन... हे गोविन्द राखो शरण अ... कल कुँडल कान्ति कपोलन... जब सौंप दिया सब भार ... निवेदन - कल कुँडल कान्ति कपोलन... ’निवेदन’ मे प्रस्तुत जो भी भजन है, वे सभी विनम्र भावोंके चयन है । Tags : bhajankirtanकीर्तननिवेदनभजनहिंदी निवेदन Translation - भाषांतर कल कुँडल कान्ति कपोलन पै बिखरी अलकावलिया घुँघराली । अधरामृत स्वाद समुद्र भरी मुसकान छटा अति ही सुखकारी ॥ करती रहे वृष्टि कृपा की सदा करुणावरुणालय दृष्टि तुम्हारी । शशिमण्डल सो मुखमण्डल ये जिसे देख बनी हम दासी तुम्हारी ॥ N/A References : N/A Last Updated : January 22, 2014 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP