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निवेदन - हे गोविन्द राखो शरण अ...

’निवेदन’ मे प्रस्तुत जो भी भजन है, वे सभी विनम्र भावोंके चयन है ।


हे गोविन्द राखो शरण अब तो जीवन हारे ।

नीर पीवन हेतु गयो सिंधु के किनारे ।

सिंधु बीच बसत ग्राह चरणधर पछारे ॥

चार प्रहर युध्द भयो ले गयो मझधारे ।

नाक कान डूबन लागे कृष्ण को पुकारे ।

द्वारका से शब्द सुनि गरुड़ चढ़ि पधारे ।

ग्राह को हरि मारि के गजराज को उबारे ॥

सूरश्याम मगन भये नन्द के दुलारे ।

तेरो मेरो न्याव होसी यमके दुआरे ॥

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Last Updated : January 22, 2014

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