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निवेदन - तू दयालु , दीन हौं , तू...

’निवेदन’ मे प्रस्तुत जो भी भजन है, वे सभी विनम्र भावोंके चयन है ।


तू दयालु, दीन हौं, तू दानि हौं भिखारी ।

हौं प्रसिध्द पातकी, तू पापपुंजहारी ॥१॥

नाथ तू अनाथको, अनाथ कौन मोसो ? ।

मो समान आरत नहिं, आरतिहर तोसो ॥२॥

ब्रह्म तू, हौं जीव हौं, तू ठाकुर, हौं चेरो ।

तात, मात, गुरु सखा, तू सब बिधि हितु मेरो ॥३॥

तोहि मोहि नाते अनेक, मानिये जो भावै ।

ज्यों-त्यों ’तुलसी’ कृपालु ! चरन-सरन पावै ॥४॥

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Last Updated : January 22, 2014

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