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निवेदन - दिला दो भीख दर्शन की ...

’निवेदन’ मे प्रस्तुत जो भी भजन है, वे सभी विनम्र भावोंके चयन है ।


दिला दो भीख दर्शन की प्रभु तेरा भिखारी हूँ ॥टेर॥

चलकर दूर देशों से, तेरे दरबार मैं आया ।

खड़ा हूँ द्वार पे दिल में, तेरी आशा का धारी हूँ ॥१॥

फिरा संसार चक्कर में भटकता रात दिन बिरथा ।

बिना दीदार के तेरे, हमेशा मैं दुखारी हूँ ॥२॥

तुही माता पिता बन्धु, तुही मेरा सहायक है ।

तेरे दासन के दासों का चरण का सेवकारी हूँ ॥३॥

भरा हूँ पाप दोषन से, क्षमा कर भूल को मेरी ।

वो ब्रह्मनंद सुन विनती, शरण में मैं तिहारी हूँ॥४॥

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Last Updated : January 22, 2014

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