आश्विन शुक्लपक्ष व्रत - शरत्पूर्णिमा

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


शरत्पूर्णिमा

( कृत्यनिर्णयामृत) -

इसमें प्रदोष और निशीथ दोनोंमें होनेवाली पूर्णिमा ली जाती है । यदि पहले दिन निशीथव्यापिनी हो और दूसरे दिन प्रदोषव्यापिनी न हो तो पहले दिन व्रत करना चाहिये । १ - इस दिन काँसीके पात्रमें घी भरकर सुवर्णसहित ब्राह्मणको दे तो ओजस्वी होता है, २ - अपराह्णंमें हाथियोंका नीराजन करे तो उत्तम फल मिलता है और ३ - अन्य प्रकारके अनुष्ठान करे तो उनकी सफल सिद्धि होती है । इसके अतिरिक्त आश्विन शुक्ल वस्त्राभूषणादिसे सुशोभित करके षोडशोपचार पूजन करे और रात्रिके समय उत्तम गोदुग्धकी खीरमें घी और सफेद खाँड मिलाकर अर्द्धरात्रिके समय भगवानके अर्पण करे । साथ ही पूर्ण चन्द्रमाके मध्याकाशमें स्थिता होनेपर उनका पूजन करे और पूर्वोक्त प्रकारकी खीरका नैवेद्य अर्पण करके दूसरे दिन उसका भोजन करे ।

N/A

References : N/A
Last Updated : January 21, 2009

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP