शुक्लैकादशी
( पद्मपुराण ) -
पापपरायण पुरुषोंके पापोंको वशवर्ती बनानेमें आश्विन शुक्ल एकादशी अङ्कुशके समान है । इसी कारण इसका नाम ' पापाङ्कुशा ' है । यह स्वर्ग और मोक्षको देनेवाली, शरीरको नीरोग रखनेवाली, सुन्दरी, सुशीला, स्त्री, सदाचारी पुत्र और सुस्थिर धन देनेवाली है । उस दिन दिनमें भगवानका पूजन और रात्रिमें उनके सम्मुख जागरण करके दूसरे दिन पूर्वाह्णमें पारण करके व्रतको समाप्त करे ।