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विपुला
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وِپُولا
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বিপুলা
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ବିପୁଳା
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ਵਿਪੁਲਾ
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વિપુલા
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آدی وِپُولا
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വിപുല
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وِپُلا
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આદિવિપુલા
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আদিবিপুলা
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ଆଦିବିପୁଳା
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आदिविपला
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आदिविपुला
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ample
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copious
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plenteous
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plentiful
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aditi
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rich
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नविद्वस्
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अर्थालंकार - मुद्रा
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास अलंकार असे म्हणतात.
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जघनम्
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आर्यगीतिलक्षण
लेखक - परशुराम बल्लाळ गोडबोले
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रडण्याचे ध्येय
साने गुरूजींचे संपूर्ण नाव - पांडुरंग सदाशिव साने
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लिंबोळ्या - पुष्पांचा गजरा
’ लिंबोळ्या ’ या संग्रहातील कविता लिंबोळ्यांप्रमाणेच कडवट गोड आहेत. या कविता म्हणजे कवीच्या उच्च काव्यप्रतिभा आहेत.
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मानसागरी - अध्याय ५ - बुधमहादशान्तर्दशाफलम्
सृष्टीचमत्काराची कारणे समजून घेण्याची जिज्ञासा तृप्त करण्यासाठी प्राचीन भारतातील बुद्धिमान ऋषीमुनी, महर्षींनी नानाविध शास्त्रे जगाला उपलब्ध करून दिली आहेत, त्यापैकीच एक ज्योतिषशास्त्र होय.
The horoscope is a stylized map of the planets including sun and moon over a specific location at a particular moment in time, in the sky.
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उत्तरभागः - अध्यायः ४६
अठरा पुराणांमध्ये भगवान् शंकराची महान महिमा लिंगपुराणात वर्णिलेली आहे. यात ११००० श्लोक आहेत. प्रथम योग आणि नंतर कल्प असे विवेचन गुरू वेदव्यास यांनी या पुराणात सांगितले आहे.
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निर्वाणप्रकरणं - सर्गः १६६
योगवाशिष्ठ महारामायण संस्कृत साहित्यामध्ये अद्वैत वेदान्त विषयावरील एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ आहे. ह्याचे रचयिता आहेत - वशिष्ठ
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उत्तरभागः - अध्यायः ५५
अठरा पुराणांमध्ये भगवान् शंकराची महान महिमा लिंगपुराणात वर्णिलेली आहे. यात ११००० श्लोक आहेत. प्रथम योग आणि नंतर कल्प असे विवेचन गुरू वेदव्यास यांनी या पुराणात सांगितले आहे.
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रामजोशी - नरजन्मामधिं नरा करुनि ...
रामजोशांनी लिहिलेली कविता मोठी मधुर, अर्थसंपन्न व प्रासअनुप्रासांची पैंजणे घालून ठुमकणारी अशी आहे. शृंगारपर, उपदेशपर व देवदैवतविषयक अशा अनेक प्रकारच्या लावण्या रामजोशांनी लिहिल्या.
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भिक्षाटनकाव्यम् - षटत्रिंशी पद्धतिः
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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खण्डः ३ - अध्यायः ०३६
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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अथ क्रियापादः - चक्रादिस्थापनविधिपटलः
सुप्रभेदागमः म्हणजे शिल्पशास्त्र ह्या विषयावरील महत्वपूर्ण ग्रंथ.
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निरंजन माधव - ऐश्वर्यवर्णन
निरंजन माधवांच्या कवितेत काव्यस्फूर्ति उच्च दर्ज्याची असून भाषेत सरळपणा व प्रसाद सोज्वळ आहे.
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उत्तरखण्डः - अध्यायः १६२
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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निर्वाणप्रकरणं - सर्गः ९१
योगवाशिष्ठ महारामायण संस्कृत साहित्यामध्ये अद्वैत वेदान्त विषयावरील एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ आहे. ह्याचे रचयिता आहेत - वशिष्ठ
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सुप्रभेदागमः - चक्रादिस्थापनविधिपटलः
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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भूमिवर्गः - श्लोक ३ ते ४०
अमरकोश में संज्ञा और उसके लिंगभेद का अनुशासन या शिक्षा है। अन्य संस्कृत कोशों की भांति अमरकोश भी छंदोबद्ध रचना है।
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निर्वाणप्रकरणं - सर्गः ७१
योगवाशिष्ठ महारामायण संस्कृत साहित्यामध्ये अद्वैत वेदान्त विषयावरील एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ आहे. ह्याचे रचयिता आहेत - वशिष्ठ
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आचारकाण्डः - अध्यायः २०८
विष्णू पुराणाचा एक भाग असलेल्या गरूड पुराणात मृत्यूनंतरच्या स्थितीबद्दलची चर्चा आहे, शिवाय श्रद्धाळू हिंदू धर्मीयांमध्ये मृत्यूनंतर जी विविध क्रिया कर्मे केली जातात, त्याला गरूडपुराणाची पार्श्वभूमी आहे.
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सार्थपिड्गलछन्द:सूत्र - अथछन्द:सूत्रविषयानुक्रमणी
अथछन्द:सूत्रविषयानुक्रमणी
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बृहत्संहिताः - अध्याय ५७
’बृहत्संहिता’ ग्रंथात वास्तुविद्या, भवन निर्माण कला, वायुमंडळाची रचना, वृक्ष आयुर्वेद इ. विषय अंतर्भूत आहेत.
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metre
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उमासहस्रम् - त्रयोदशः स्तबकः
देवी देवतांची स्तुती करताना म्हणावयाच्या रचना म्हणजेच स्तोत्रे. A Stotra is a hymn of praise, that praise aspects of Devi and Devtas.
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उत्तर पर्व - अध्याय १९०
भविष्यपुराणांत धर्म, सदाचार, नीति, उपदेश, अनेक आख्यान, व्रत, तीर्थ, दान, ज्योतिष अणि आयुर्वेद शास्त्र वगैरे विषयांचा अद्भुत संग्रह आहे.
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पूर्वभागः - अध्यायः १०६
अठरा पुराणांमध्ये भगवान् शंकराची महान महिमा लिंगपुराणात वर्णिलेली आहे. यात ११००० श्लोक आहेत. प्रथम योग आणि नंतर कल्प असे विवेचन गुरू वेदव्यास यांनी या पुराणात सांगितले आहे. हा शिव पुराणाच पूरक ग्रंथ आहे.
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रसगंगाधरः - कारणमाला अलंकार:
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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सार्थपिड्गलछन्द:सूत्र -अध्याय पांचवा
सार्थपिड्गलछन्द:सूत्र
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सप्तशती आर्या - अध्याय ४
मोरोपंतांनी सप्तशती आर्या लिहून मराठी जनांवर उपकार केले आहेत.
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