-
मित्रविंदा
Meanings: 3; in Dictionaries: 3
Type: WORD | Rank: 2.699236 | Lang: NA
-
متربِندا
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.296918 | Lang: NA
-
মিত্রবিন্দা
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.9428396 | Lang: NA
-
ମିତ୍ରବିନ୍ଦା
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.9428396 | Lang: NA
-
મિત્રવિંદા
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.9428396 | Lang: NA
-
मित्रविन्दा
Meanings: 7; in Dictionaries: 4
Type: WORD | Rank: 0.5843572 | Lang: NA
-
मित्रबिंदा
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 0.4903061 | Lang: NA
-
मित्रबिन्दा
Meanings: 3; in Dictionaries: 3
Type: WORD | Rank: 0.4246175 | Lang: NA
-
மித்ரிவிந்தா
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.2828335 | Lang: NA
-
ਮਿਤਰਵਿੰਦਾ
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.2828335 | Lang: NA
-
മിത്രവിംദ
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.2828335 | Lang: NA
-
مِتر وِندا
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.2828335 | Lang: NA
-
مِترٛوِندا
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.2828335 | Lang: NA
-
महाश
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 0.02136029 | Lang: NA
-
अष्टनायका
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.01869026 | Lang: NA
-
उन्नाद
Meanings: 5; in Dictionaries: 3
Type: WORD | Rank: 0.01602022 | Lang: NA
-
क्षुधि
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 0.01335018 | Lang: NA
-
अन्नाद
Meanings: 12; in Dictionaries: 6
Type: WORD | Rank: 0.01068015 | Lang: NA
-
मित्रविंद
Meanings: 10; in Dictionaries: 4
Type: WORD | Rank: 0.00801011 | Lang: NA
-
विंद
Meanings: 3; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.007552004 | Lang: NA
-
अनुविंद
Meanings: 6; in Dictionaries: 4
Type: WORD | Rank: 0.006675092 | Lang: NA
-
आचारकाण्डः - अध्यायः २८
विष्णू पुराणाचा एक भाग असलेल्या गरूड पुराणात मृत्यूनंतरच्या स्थितीबद्दलची चर्चा आहे, शिवाय श्रद्धाळू हिंदू धर्मीयांमध्ये मृत्यूनंतर जी विविध क्रिया कर्मे केली जातात, त्याला गरूडपुराणाची पार्श्वभूमी आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.006675092 | Lang: NA
-
अध्याय ६१ वा - श्लोक १६ ते २०
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
Type: PAGE | Rank: 0.005664003 | Lang: NA
-
शैब्या
Meanings: 12; in Dictionaries: 3
Type: WORD | Rank: 0.005340073 | Lang: NA
-
वर्धन
Meanings: 36; in Dictionaries: 7
Type: WORD | Rank: 0.005340073 | Lang: NA
-
गृध्र
Meanings: 21; in Dictionaries: 7
Type: WORD | Rank: 0.005340073 | Lang: NA
-
दशम स्कंधाचा ( उत्तरार्ध ) सारांश
दशमस्कंध उत्तरार्धात अध्याय ४१, मूळ श्लोक १९३३, त्यांवरील अभंग ४६०
Type: PAGE | Rank: 0.005340073 | Lang: NA
-
पावन
Meanings: 71; in Dictionaries: 14
Type: WORD | Rank: 0.004005055 | Lang: NA
-
अध्याय ५८ वा - श्लोक ३१ ते ३५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
Type: PAGE | Rank: 0.003776002 | Lang: NA
-
अनिल
Meanings: 66; in Dictionaries: 12
Type: WORD | Rank: 0.003337546 | Lang: NA
-
स्कंध १० वा - अध्याय ८३ वा
सर्वमतखंडन आणि ब्रह्मविद्यारहस्य
Type: PAGE | Rank: 0.003337546 | Lang: NA
-
अध्याय ५८ वा - श्लोक ५६ ते ५८
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
Type: PAGE | Rank: 0.003337546 | Lang: NA
-
वृक
Meanings: 81; in Dictionaries: 10
Type: WORD | Rank: 0.002670037 | Lang: NA
-
अध्याय ५८ वा - श्लोक २६ ते ३०
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
Type: PAGE | Rank: 0.002670037 | Lang: NA
-
हरिविजय - अध्याय २६
श्रीधरांसारखा भगवंताच्या भक्तिप्रेमात न्हाऊन गेलेला अजोड कवी, गोपालकृष्णाच्या अति गोड लीलांचे वर्णन करतो, तेव्हा काय बहार येते.
Type: PAGE | Rank: 0.002670037 | Lang: NA
-
स्कंध १० वा - अध्याय ५८ वा
सर्वमतखंडन आणि ब्रह्मविद्यारहस्य
Type: PAGE | Rank: 0.002670037 | Lang: NA
-
स्कंध ५ वा - अध्याय २० वा
सर्वमतखंडन आणि ब्रह्मविद्यारहस्य
Type: PAGE | Rank: 0.002670037 | Lang: NA
-
उत्तरखण्डः - अध्यायः २४९
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
Type: PAGE | Rank: 0.002336282 | Lang: NA
-
हरिविजय - अध्याय ३०
श्रीधरांसारखा भगवंताच्या भक्तिप्रेमात न्हाऊन गेलेला अजोड कवी, गोपालकृष्णाच्या अति गोड लीलांचे वर्णन करतो, तेव्हा काय बहार येते.
Type: PAGE | Rank: 0.00231232 | Lang: NA
-
उत्तरार्ध - अध्याय ३८ वा
हरिवंशांतल्या आर्यारचना आर्याभारताच्याच तोलाच्या आहेत.
Type: PAGE | Rank: 0.002002527 | Lang: NA
-
कथाकल्पतरू - स्तबक ६ - अध्याय ३
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.002002527 | Lang: NA
-
संकेत कोश - संख्या ८
हिंदू धर्मात असे अनेक संकेत आहेत ,जे आपल्या जीवनात मोलाचे कार्य बजावतात .
Type: PAGE | Rank: 0.002002527 | Lang: NA
-
अध्याय २८
संतकवी महीपतीबोवा ताहराबादकर विरचित
Type: PAGE | Rank: 0.001668773 | Lang: NA
-
प्रायश्चित्तमयूख - प्रायश्चित्त ४१ वे
विधिविहित नित्यकर्म (संध्यादि) न केल्यामुळे, पाप केल्याने व सुरा इत्यादि निषिद्ध पदार्थांचे सेवन केल्यानें त्याच्या शुद्धिसाठी जें कर्म सांगण्यात येतें तें प्रायश्चित्त होय.
Type: PAGE | Rank: 0.001668773 | Lang: NA
-
हरिविजय - अध्याय ३५
श्रीधरांसारखा भगवंताच्या भक्तिप्रेमात न्हाऊन गेलेला अजोड कवी, गोपालकृष्णाच्या अति गोड लीलांचे वर्णन करतो, तेव्हा काय बहार येते.
Type: PAGE | Rank: 0.001668773 | Lang: NA
-
श्रीकृष्ण कथामृत - तेरावा सर्ग
संतकवि श्रीगणुदास यांनी रचलेले श्रीकृष्ण - कथामृत अमृताची गोडी देते.
Type: PAGE | Rank: 0.001668773 | Lang: NA
-
श्री नारदीयमहापुराणम् - नामाशीतितमोऽध्यायः
`नारदपुराण’ में शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष, और छन्द-शास्त्रोंका विशद वर्णन तथा भगवानकी उपासनाका विस्तृत वर्णन है।
Type: PAGE | Rank: 0.001668773 | Lang: NA
-
अध्याय ५९ वा - श्लोक ४१ ते ४६
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
Type: PAGE | Rank: 0.001335018 | Lang: NA
-
हरिविजय - अध्याय २९
श्रीधरांसारखा भगवंताच्या भक्तिप्रेमात न्हाऊन गेलेला अजोड कवी, गोपालकृष्णाच्या अति गोड लीलांचे वर्णन करतो, तेव्हा काय बहार येते.
Type: PAGE | Rank: 0.001335018 | Lang: NA
-
सृष्टिखण्डः - अध्यायः १३
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
Type: PAGE | Rank: 0.001168141 | Lang: NA