लक्ष्मणा-माद्री n. मद्र देश के वृहत्सेन राजा की कन्या, जो कृष्ण के पटरानियों में से एक थी
[पद्म. सू.१३] इसे लक्षणा नामान्तर भी प्राप्त था
[म. स परि. १. क्र २१. पंक्ति, १२५५-१२५६] लक्ष्मणा-माद्री n. द्रौपदीस्वयंवर के भाँति इसके स्वयंवर की भी रचना की गई थी । इसके स्वयंवर की शर्त थी कि, उपर टँगी मछली की छाया नीचे रखे जलपात्र में देख कर जो शरसंधान करेगा, उसीके साथ इसका विवाह होगा । लक्ष्मणा के स्वयंवर में श्रीकृष्ण के अतिरिक्त जरासंध, अंबष्ठा, शिशुपाल, भीम, दुर्योधन, कर्ण, अर्जुन आदि महाधनुर्धर उपस्थित थे । किन्तु उनमें से कोई भी वीर मत्स्यभेद में सफल न हुए । अर्जुन का बाण भी मत्स्यसंधान न कर सका, एवं मत्स्य को स्पर्श करता हुआ उपर से निकल गया । अन्त में मत्स्य का भेद कर, कृष्ण ने इसका हरण किया, एवं इसे अपनी आठ पटरानियों में एक स्थान दिया ।
लक्ष्मणा-माद्री n. इसे निम्नलिखित दस पुत्र थे---प्रघोष, गात्रवत्, सिंह, बल, प्रबल, ऊर्ध्वग, महाशक्ति, सह, ओज एवं अपराजित
[भा. १०.५८.५७, ६१.१५]