रथवीति (दार्भ्य) n. एक ऋषि, जो हिमालय के दूरस्थ पर्वतों में गायों से परिपूर्ण (गोंतीर अनु) प्रदेश मे रहता था
[ऋ. ५.६१.१७.-१९] । एक वार अंधिगु श्यावाश्व नामक आचार्य ने, तरंत नामक राजा के यज्ञ में होमकर्म करने के लिए इसे आमंत्रित किया । उस समय यह अपनी कन्या को साथ ले कर यज्ञ करने गया । वहाँ श्यावाश्व के पिता अर्चनानस आत्रेय ने अपने वेदवेत्ता पुत्र के लिए इसके कन्या की माँग की । किन्तु इसने साफ इन्कार कर दिया, एवं श्यावाश्व को अपने यज्ञ से बाहर निकाल दिया । किन्तु अंत में तरन्त राजा के कहने पर इसने अपनी कन्या श्यावाश्व को दे दी
[ऋ. सायणभाष्य ५.६१] । वृहद्देवता के अनुसार, तरन्त राजा को शशीयसी नामक पत्नी से एक पुत्र उत्पन्न हुआ था, जिसके लिए उसने रथवीति के कन्या की माँग की थी
[वृहद्दे. ५.५०.८१] । आधुनिक विद्वानों के अनुसार रथवीति दार्भ्य एक आचार्य न हो कर एक राजा था. एवं श्यावाश्व इसका पुत्र था । श्यावाश्व ने अपने पिता एवं मरुतों की सहाय्यता से अपने लिए एक पत्नी प्राप्त की थी, जिसका निर्देश ऋग्वेद के उपर्युक्त सूक्त्त में प्राप्त है
[ओल्डेनवर्ग: ऋग्वेद नोटेन. १.३५३-३५४] ।