पिंगला n. अवन्तिनगर की एक वेश्या । मंदर-नामक एक ब्राह्मण इस पर आसक्त था । इसने ऋषभ नामक योगी की सेवा की । इस पुण्य के कारण, इसे अगले जन्म में चंद्रांगद राज के कुल में जन्म प्राप्त हुआ । यह चंद्रांगद की पत्नी सीमांतिनी के गर्भ से उत्पन्न हुयी, तथा इसका नाम कीर्तिमालिनी रखा गया । पश्चात् यह भद्रायु राजा की पत्नी बनी (भद्रायु देखिये) ।
पिंगला II. n. विदेह देश के मिथिला नगर की एक वेश्या । एक दिन यह हर रोज की तरह अर्धरात्रि तक प्रतीक्षा करती रही, पर कोई ग्राहक न आया । इस घटना से इसे वैराग्य उत्पन्न हुआ, तहा अंत में इसे मोक्ष प्राप्त हुआ ।
[भा.११.८.२२-४४] । इसने अवधूत को आत्मज्ञान का उपदेश दिया था, जिससे इसे अपना गुरु मानता था
[भा.११.७.३४] । इसकी जीवनगथा भीष्म ने युधिष्ठिर को सुनायी थी
[म.शां.१६८.४६-५२] ।
पिंगला III. n. अयोध्या नगरी की एक स्त्री । एक बार यह विषयोपभोग की इच्छा से, राम के पास गयी । किन्तु एकपत्नीव्रतधारी राम ने, इसकी मॉंग अस्वीकार कर दी, तथा कहा, ‘कृष्णावतार में तुम कंस की कुब्जा नामक दासी बनोगी । उस समय कृष्ण के रुप में, मैं तुम्हे स्वीकार करुँगा । यह बात जब सीता को ज्ञात हुयी, सब क्रुद्ध हो कर उसने पिंगला को शाप दिया ‘राम से विषय-भोग की लालसा रखनेवाली सुंदरी, तेरा शरीर अगले जन्म में तीन स्थानों से टेढा होगा’। पिंगला ने सीता से दया की याचना की । फिर सीता ने कहा, ‘अगले जन्म में कृष्ण तुम्हारा उद्धार करेगा’
[आ.रा.विलास.८] ।