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भद्रायु

   { bhadrāyu }
Script: Devanagari

भद्रायु     

Puranic Encyclopaedia  | English  English
BHADRĀYU   A king who was a devotee of Śiva. He was a leper and in his life he suffered much, even the pangs of death. His wife was the dutiful and good natured lady, Kīrtimālinī. On the sixteenth birthday of Bhadrāyu Śiva appeared before him in the name of Ṛṣabha and blessed him after instructing him on the precepts of Rājadharma. He further gave him a dagger and a conch as weapons and twelve thousand elephants. With the might of all these, Bhadrāyu became unconquerable. [Śiva Purāṇa, Śatarudrasaṁhitā] . One day, while Bhadrāyu was ruling the country, Śiva came in the guise of a tiger and carried away the wife of a brahmin. Bhadrāyu, a firm protector of his subjects gave his own wife to the brahmin and prepared himself to give up his life in fire. Śiva greatly pleased at this selfless act of Bhadrāyu befitting a true King appeared before him and blessed him and gave back the brahmin his wife. Bhadrāyu in his previous birth was a King called Mandara and Kīrtimālinī in her previous birth was Piṅgalā, queen of Mandara. [Skanda Purāṇa, 3.3.12] ; 9.14.

भद्रायु     

भद्रायु n.  एक राजा, जो शिव का परम भक्त था । इसे कोढ था, जिस कारणसे जीवित अवस्था में ही मृत्यु की यातना सहनी पडती थी । इसकी पत्नी का नाम कीर्तिमालिन था । यह सोलह वर्ष का होने पर, इसके घर ऋषभ नामक शिवावतार अवतीर्ण हुआ । उसने इसे ‘राजधर्म’ का उपदेश दिया, एवं प्रसाद के रुप में इसके मस्तक में विभूति लगाया । शस्त्र के रुप में उसने इसे खङ्ग एवं शंख दे कर, बारह सहस्त्र हाथियों का बल इसे प्रदान किया । उसे शस्त्रास्त्रों के बल से, यह युद्ध में अजेय बन गया [शिव.शत.४.२७] । शिव के ऋषभ अवतार के शिवपुराण में प्राप्त वर्णन से, वह अवतार प्रवृत्तिमार्गीय प्रतीत होता है । एक बार इसके राज्य में, शिव ने एक व्याघ्र का रुप धारण कर, एक ब्राह्मण के पत्नी का अपहरण किया । फिर इस प्रजाहितदक्ष राजा ने अपनी पत्नी उस ब्राह्मण को दान में दी, एवं यह स्वयं अग्निप्रवेश के लिए सिद्ध हुआ । इसकी इस त्यागवृत्ति से संतुष्ट हो कर, शिव ने इसे अनेकानेक वर प्रदान किये, एवं ब्राह्मण की पत्नी उसे लौटा दी [स्कंद ३.३.१४] । अपने पूर्वजन्म में यह मंदर नामक राजा था, एवं इसकी पत्नी कीर्तिमालिनी उसकी पिंगला नामक पत्नी थी [स्कंद.३.३.१३, ९.१४]

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