भद्रायु n. एक राजा, जो शिव का परम भक्त था । इसे कोढ था, जिस कारणसे जीवित अवस्था में ही मृत्यु की यातना सहनी पडती थी । इसकी पत्नी का नाम कीर्तिमालिन था । यह सोलह वर्ष का होने पर, इसके घर ऋषभ नामक शिवावतार अवतीर्ण हुआ । उसने इसे ‘राजधर्म’ का उपदेश दिया, एवं प्रसाद के रुप में इसके मस्तक में विभूति लगाया । शस्त्र के रुप में उसने इसे खङ्ग एवं शंख दे कर, बारह सहस्त्र हाथियों का बल इसे प्रदान किया । उसे शस्त्रास्त्रों के बल से, यह युद्ध में अजेय बन गया
[शिव.शत.४.२७] । शिव के ऋषभ अवतार के शिवपुराण में प्राप्त वर्णन से, वह अवतार प्रवृत्तिमार्गीय प्रतीत होता है । एक बार इसके राज्य में, शिव ने एक व्याघ्र का रुप धारण कर, एक ब्राह्मण के पत्नी का अपहरण किया । फिर इस प्रजाहितदक्ष राजा ने अपनी पत्नी उस ब्राह्मण को दान में दी, एवं यह स्वयं अग्निप्रवेश के लिए सिद्ध हुआ । इसकी इस त्यागवृत्ति से संतुष्ट हो कर, शिव ने इसे अनेकानेक वर प्रदान किये, एवं ब्राह्मण की पत्नी उसे लौटा दी
[स्कंद ३.३.१४] । अपने पूर्वजन्म में यह मंदर नामक राजा था, एवं इसकी पत्नी कीर्तिमालिनी उसकी पिंगला नामक पत्नी थी
[स्कंद.३.३.१३, ९.१४] ।