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यंत्र - विपत्ती विनाशक यंत्र
यंत्राची श्रद्धापूर्वक शास्त्रोक्त आणि धार्मिक पूजा केल्याने अवश्य फळ मिळते.
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यंत्र - शुक्र यंत्र
यंत्राची श्रद्धापूर्वक शास्रोक्त आणि धार्मिक पूजा केल्याने अवश्य फळ मिळते.
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यंत्र - सर्वार्थ सिद्धि यंत्र
यंत्राची श्रद्धापूर्वक शास्रोक्त आणि धार्मिक पूजा केल्याने अवश्य फळ मिळते.
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यंत्र - बुध यंत्र
यंत्राची श्रद्धापूर्वक शास्रोक्त आणि धार्मिक पूजा केल्याने अवश्य फळ मिळते.
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यंत्र - पूजा आणि सिद्ध विधी
यंत्राची श्रद्धापूर्वक शास्रोक्त आणि धार्मिक पूजा केल्याने अवश्य फळ मिळते.
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यंत्र - शनि यंत्र
यंत्राची श्रद्धापूर्वक शास्त्रोक्त आणि धार्मिक पूजा केल्याने अवश्य फळ मिळते.
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यंत्र - गुरू यंत्र
यंत्राची श्रद्धापूर्वक शास्रोक्त आणि धार्मिक पूजा केल्याने अवश्य फळ मिळते.
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यंत्र - रवी यंत्र
यंत्राची श्रद्धापूर्वक शास्रोक्त आणि धार्मिक पूजा केल्याने अवश्य फळ मिळते.
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यंत्र - यंत्र मोती माला
यंत्राची श्रद्धापूर्वक शास्रोक्त आणि धार्मिक पूजा केल्याने अवश्य फळ मिळते.
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यंत्र - केतू यंत्र
यंत्राची श्रद्धापूर्वक शास्त्रोक्त आणि धार्मिक पूजा केल्याने अवश्य फळ मिळते.
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यंत्रशास्त्र
यंत्र, मंत्र अणि तंत्र शास्त्राची महानता या आधुनिक जगातील लोकसुद्धा स्वीकार करतात.
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यंत्र - मंगळ यंत्र
यंत्राची श्रद्धापूर्वक शास्रोक्त आणि धार्मिक पूजा केल्याने अवश्य फळ मिळते.
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यंत्र - चंद्र यंत्र
यंत्राची श्रद्धापूर्वक शास्रोक्त आणि धार्मिक पूजा केल्याने अवश्य फळ मिळते.
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yantra
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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shastra
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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मन्त्रमहोदधिः - दशमः तरङ्गः
श्रीमन्महीधर भट्ट ने स्वयं इस ग्रंथ में शान्ति , वश्य , स्तम्भन , विद्वेषण , उच्चाटण और मारण की विधि बताई है ।
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मंत्रप्रकरण - ऋद्धिसिद्धि मंत्र
" श्रद्धावान लभते फलं" म्हणजे श्रद्धालु पुरूषालाच मंत्रानुष्ठानाची यथोक्त फलप्राप्ति होते.
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मन्त्रमहोदधिः - षष्ठः तरङ्गः
श्रीमन्महीधर भट्ट ने स्वयं इस ग्रंथ में शान्ति , वश्य , स्तम्भन , विद्वेषण , उच्चाटण और मारण की विधि बताई है ।
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सिद्धपंचरत्न - मंत्रप्रकरण
" श्रद्धावान लभते फलं" म्हणजे श्रद्धालु पुरूषालाच मंत्रानुष्ठानाची यथोक्त फलप्राप्ति होते.
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मंत्रप्रकरण - भुवनेश्वरी मंत्र
" श्रद्धावान लभते फलं" म्हणजे श्रद्धालु पुरूषालाच मंत्रानुष्ठानाची यथोक्त फलप्राप्ति होते.
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मंत्रप्रकरण - तीव्रबुद्धिकरण मंत्र
" श्रद्धावान लभते फलं" म्हणजे श्रद्धालु पुरूषालाच मंत्रानुष्ठानाची यथोक्त फलप्राप्ति होते.
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मंत्रप्रकरण - सरस्वती मंत्र
" श्रद्धावान लभते फलं" म्हणजे श्रद्धालु पुरूषालाच मंत्रानुष्ठानाची यथोक्त फलप्राप्ति होते.
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मंत्रप्रकरण - बगलामुखी मंत्र
" श्रद्धावान लभते फलं" म्हणजे श्रद्धालु पुरूषालाच मंत्रानुष्ठानाची यथोक्त फलप्राप्ति होते.
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मंत्रप्रकरण - तारामंत्र
" श्रद्धावान लभते फलं" म्हणजे श्रद्धालु पुरूषालाच मंत्रानुष्ठानाची यथोक्त फलप्राप्ति होते.
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५१ मंत्र जप आणि चिंतनासाठी.
51verses for chanting and contemplation. ५१ मंत्र जप आणि चिंतनासाठी.
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गुरुसंस्था - शिष्याची पात्रता
मंत्रशास्त्राकार जगन्नाथपुरीचे ब्रह्मीभूत पूज्य श्रीशंकराचार्य योगेश्वरानंदतीर्थ ह्यांचा हा मंत्रसाठा सिद्ध आहे ,
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मंत्रप्रकरण - शारदादेवी मंत्र
" श्रद्धावान लभते फलं" म्हणजे श्रद्धालु पुरूषालाच मंत्रानुष्ठानाची यथोक्त फलप्राप्ति होते.
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मन्त्रमहोदधिः - अष्टमः तरङ्गः
श्रीमन्महीधर भट्ट ने स्वयं इस ग्रंथ में शान्ति , वश्य , स्तम्भन , विद्वेषण , उच्चाटण और मारण की विधि बताई है ।
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पंचदशी विद्या - पंचदशीयंत्राचा विधि
गुरूपदिष्ट मार्गाशिवाय मंत्रांचे अनुष्टान करू नये , कारण मंत्रशास्त्र हे अनुभवदर्शी शास्त्र आहे .
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मन्त्रमहोदधिः - द्वितीयः तरङ्गः
इस ग्रंथमें जितने भी देवताओंके मंत्रप्रयोग बतलाये गए हैं , उन्हें सिद्ध करनेसे उत्तम ज्ञान की प्राप्ति होती है।
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मंत्रशास्त्र - नियम व विधी
" श्रद्धावान लभते फलं" म्हणजे श्रद्धालु पुरूषालाच मंत्रानुष्ठानाची यथोक्त फलप्राप्ति होते.
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मंत्रप्रकरण - कमला-मंत्र
" श्रद्धावान लभते फलं" म्हणजे श्रद्धालु पुरूषालाच मंत्रानुष्ठानाची यथोक्त फलप्राप्ति होते.
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मन्त्रमहोदधिः - नवमः तरङ्गः
श्रीमन्महीधर भट्ट ने स्वयं इस ग्रंथ में शान्ति , वश्य , स्तम्भन , विद्वेषण , उच्चाटण और मारण की विधि बताई है ।
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मंत्रप्रकरण - मातंगी मंत्र
" श्रद्धावान लभते फलं" म्हणजे श्रद्धालु पुरूषालाच मंत्रानुष्ठानाची यथोक्त फलप्राप्ति होते.
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मंत्रशास्त्र
" श्रद्धावान लभते फलं" म्हणजे श्रद्धालु पुरूषालाच मंत्रानुष्ठानाची यथोक्त फलप्राप्ति होते.
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मन्त्रमहोदधिः - चतुर्थः तरङ्गः
इस ग्रंथमें जितने भी देवताओंके मंत्रप्रयोग बतलाये गए हैं , उन्हें सिद्ध करनेसे उत्तम ज्ञान की प्राप्ति होती है।
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मन्त्रमहोदधिः - सप्तमः तरङ्गः
श्रीमन्महीधर भट्ट ने स्वयं इस ग्रंथ में शान्ति , वश्य , स्तम्भन , विद्वेषण , उच्चाटण और मारण की विधि बताई है ।
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पंचदशी विद्या - पंचदशी विद्या विचार
गुरूपदिष्ट मार्गाशिवाय मंत्रांचे अनुष्टान करू नये , कारण मंत्रशास्त्र हे अनुभवदर्शी शास्त्र आहे .
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गुरुसंस्था - दीक्षा व प्रकार
मंत्रशास्त्राकार जगन्नाथपुरीचे ब्रह्मीभूत पूज्य श्रीशंकराचार्य योगेश्वरानंदतीर्थ ह्यांचा हा मंत्रसाठा सिद्ध आहे ,
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मंत्रप्रकरण - कालीमंत्र.
" श्रद्धावान लभते फलं" म्हणजे श्रद्धालु पुरूषालाच मंत्रानुष्ठानाची यथोक्त फलप्राप्ति होते.
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मंत्रशास्त्र - पंचदशी विद्या
गुरूपदिष्ट मार्गाशिवाय मंत्रांचे अनुष्टान करू नये , कारण मंत्रशास्त्र हे अनुभवदर्शी शास्त्र आहे .
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गुरुसंस्था - बारा प्रकारचे गुरु
मंत्रशास्त्राकार जगन्नाथपुरीचे ब्रह्मीभूत पूज्य श्रीशंकराचार्य योगेश्वरानंदतीर्थ ह्यांचा हा मंत्रसाठा सिद्ध आहे ,
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मन्त्रमहोदधिः - पञ्चमः तरङ्गः
इस ग्रंथमें जितने भी देवताओंके मंत्रप्रयोग बतलाये गए हैं , उन्हें सिद्ध करनेसे उत्तम ज्ञान की प्राप्ति होती है।
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मंत्रप्रकरण - अन्नपूर्णामंत्र
" श्रद्धावान लभते फलं" म्हणजे श्रद्धालु पुरूषालाच मंत्रानुष्ठानाची यथोक्त फलप्राप्ति होते.
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विविध मंत्र
विविध समस्यांसाठी मंत्र
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मंत्रप्रकरण - मंगलाचरण
" श्रद्धावान लभते फलं" म्हणजे श्रद्धालु पुरूषालाच मंत्रानुष्ठानाची यथोक्त फलप्राप्ति होते.
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मंत्रशास्त्र
देवताओं की उपासना करनेवालोंको सारी सिद्धियाँ प्राप्त करनेके लिये मंत्र शास्त्र का उगम हुआ है।
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मन्त्रमहोदधिः - तृतीयः तरङ्गः
इस ग्रंथमें जितने भी देवताओंके मंत्रप्रयोग बतलाये गए हैं , उन्हें सिद्ध करनेसे उत्तम ज्ञान की प्राप्ति होती है।
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मन्त्रमहोदधि - षष्ठ तरङ्ग
`मन्त्रमहोदधि' इस ग्रंथमें अनेक मंत्रोंका समावेश है, जो आद्य माना जाता है।
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अधिकरणम् २ - अध्यायः ३
महर्षि वात्स्यायन यांच्या कामसूत्र ग्रंथात दाम्पत्य जीवनातील फक्त श्रृंगारच वर्णिलेला नसून कला, शिल्पकला आणि साहित्यपण संपादित केलेले आहे.
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