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सहस्रार्जुन
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सहस्रार्जुनाची कथा
हिंदू धर्मातील पुराणे अतिप्राचीन असून त्यातील कथा उच्च संस्कृतीच्या प्रतिक आहेत.
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कार्तवीर्यः
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কার্তবীর্য অর্জুন
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କାର୍ତବୀର୍ଯ୍ୟ
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ਕਾਰਤਵੀਰਯ
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કાર્તવીર્ય
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कार्तवीर्य अर्जुन
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हैहयराज
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हैहयाधिराज
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प्रासंगिक कविता - रामरूपी भूत
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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वैशाख शुद्ध २
दिन विशेष - वर्षातील प्रत्येक दिवसाचे ऐतिहासीक महत्व.
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दशावताराची आरती - आरती सप्रेम जय जय विठ्ठल ...
Dashavtar Arati - Prayer to Lord Vishnu's Ten Avatara
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गोविंदकृत पदें २९८ ते ३००
पद हा अभंगाचाच एक प्रकार असून लयीत गाता येतो, शिवाय गाण्याची कोणतीही ठराविक वेळ नसते.
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प्रासंगिक कविता - प्रसंग २
समर्थ रामदासांनी हिन्दी भाषेत रसाळ पदे लिहीली आहेत.
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श्री परशुरामावतार
श्रीसद्गुरू दासगणु महाराजांची कीर्तनाख्यानें हीं अत्यंत वैशिष्ट्यपूर्ण, रसाळ आणि विविध काव्यगुणांनी संपन्न असून श्राव्य काव्याचा तो एक उत्कृष्ट नमुना आहे.
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दत्तदयोदय १
मोरोपंत हे जरी संत नव्हते, तरी सदाचरणी, सच्छील असे ते एक विद्वान् गृहस्थाश्रमी होते.
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रूपक - गोंधळ
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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हैहय
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विष्णुदास नामा
' अभंग ' म्हणजे संतकवींनी समाजजागृतीसाठी केलेल्या रसाळ रचना.
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शेख महंमद चरित्र - भाग २८
श्री संत शेख महंमद ( १५६०-१६५०) महाराष्ट्रातील वारकरी संप्रदायातील संत होते त्यांचे मुळ गाव श्रीगोंदा, जि अहमदनगर. शेख महंमदाना महाराष्ट्रात कबीराचा अवतार म्हणून ओळखले जाते.
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कार्तवीर्य
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अध्याय बावीसावा - श्लोक १५१ ते २२०
श्रीधरस्वामी रचित ’ श्रीरामविजय ’ ग्रंथाचे पारायण केल्याने जीवनातील वनवास संपून सुख प्राप्त होते.
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अध्याय पंधरावा - श्लोक १०१ ते १५०
श्रीधरस्वामी रचित ’ श्रीरामविजय ’ ग्रंथाचे पारायण केल्याने जीवनातील वनवास संपून सुख प्राप्त होते.
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अध्याय सातवा - श्लोक २०१ ते २५९
श्रीधरस्वामी रचित ’ श्रीरामविजय ’ ग्रंथाचे पारायण केल्याने जीवनातील वनवास संपून सुख प्राप्त होते.
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उत्तरखण्डः - अध्यायः १२६
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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बाहु
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आश्रीदत्त विजय - अध्याय दहावा
स्वामी दत्तावधूतांनी लिहिलेली ही पोथी म्हणजे श्रीदत्त प्रभूंजवळ जाण्याचा अतिसुलभ मार्ग होय.
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श्री जनार्दनस्वामी
दत्त संप्रदायातील सत्पुरूष
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अध्याय ७३ वा - श्लोक १६ ते २०
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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अध्याय १९
संतकवी महीपतीबोवा ताहराबादकर विरचित
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अध्याय २ रा - श्लोक ३९ ते ४०
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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गुरूचरित्र - अपूर्व वैशिष्ट्य
श्रीगुरुचरित्र हा ग्रंथ महाराष्ट्रात वेदांइतकाच मान्यता पावलेला आहे. Shri GuruCharitra is the most influential book written in Marathi.
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गुरूचरित्र - पुष्पांजलि (पुरस्कार)
श्रीगुरुचरित्र हा ग्रंथ महाराष्ट्रात वेदांइतकाच मान्यता पावलेला आहे. Shri GuruCharitra is the most influential book written in Marathi.
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