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प
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پ(प)
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अध्याय सहावा - समास तिसरा
श्रीसद्गुरुलीलामृत
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प. पू. सौ. ताईमहाराज चाटुपळे
दत्त संप्रदायातील सत्पुरूष
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प. प. श्रीशंकर पुरूषोत्तमतीर्थ स्वामी महाराज
दत्त संप्रदायातील सत्पुरूष
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प. पू. सद्गुरु डॉ. हरिश्चंद्र जोशी
दत्त संप्रदायातील सत्पुरूष
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प. पू. श्रीमत् वासुदेवानंद सरस्वती
दत्त संप्रदायातील सत्पुरूष
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प. प. कृष्णानंद सरस्वती
दत्त संप्रदायातील सत्पुरूष
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प. पू. ब्रह्मयोगी सीताराम महाराज
दत्त संप्रदायातील सत्पुरूष
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आर्या सप्तशती - प-कार-व्रज्या
आर्या सप्तशती हा आचार्य गोवर्धनाचार्य यांनी रचलेला पवित्र ग्रंथ आहे.
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प. पु. श्री सद्गुरू विष्णुदास महाराज
दत्त संप्रदायातील सत्पुरूष
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व्यंजनाक्षर प
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व्यञ्जनाक्षर प
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प अक्षर
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प व्यंजन
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प लारियारि
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प सारियारि
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پ
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প
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ପ
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પ
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पकारः
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व्यंजन अक्षर प
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व्यञ्जन अक्षर प
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पवर्गी
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प हांखो जोबथायारि
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भजन - हम बालक तुम माय हमारी । प...
हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।
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श्रीकृष्णस्तवराजः - महादेव उवाच – शृणु देवि प...
देवी देवतांची स्तुति केल्यास, ते प्रसन्न होऊन इच्छित फल प्राप्त होते.
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मानसगीत सरोवर - मधुर मधुर हरिनाम सुधारस प...
भगवंताच्या लीला, त्याचे स्वरूप, अवतारकृत्ये व प्रत्येक अवतारातील अनेकविध प्रसंग, यावर आधारीत भजनांचा संग्रह, म्हणजेच मानसगीत सरोवर.
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खोकली माय - हिवायाचं थंड वारं बोरी प...
बहिणाबाईंची गाणी
बहिणाबाई अशिक्षीत असूनही त्यांच्या गाण्यांतून जीवनातील अनमोल तत्वज्ञान समजते
Bahinabai has specifically acknowledged Tukaram as her Guru and that he initiated her has been clearly expressed in all her Abhangas.
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प फ
भक्तो और महात्माओंके चरित्र मनन करनेसे हृदयमे पवित्र भावोंकी स्फूर्ति होती है ।
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संत निवृत्तीनाथांचे अभंग - सर्वांघटी वसे तो आम्हां प...
संत निवृत्तीनाथांचे अभंग संत निवृत्तीनाथ हे संत ज्ञानेश्वर महाराजांचे थोरले बंधू होत.सर्वसामान्य जनतेला संस्कृत भाषेतील भगवद्गीता समजत नव्हती म्हणून निवृत्तीनाथांनी ज्ञानेश्वरांना प्राकृत(मराठी)भाषेत लिहीण्यास सांगितली, तीच "ज्ञानेश्वरी". The eldest, Nivrutti, joined the nath sect and became Nivruttinath. He also become the guru of Dnyaneshwar. He, at the age of fourteen, instructed Dnyaneshwar, who was twelve, to write a commentry on the Bhagavad Gita
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संत तुकाराम - विठोबाचें नाम घ्यावें । प...
संत तुकाराम गाथेत समाविष्ट नसलेले अप्रसिद्ध अभंग.
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कबीर के दोहे - याद करो मौलाकी । बिठ्ठल प...
कबीर के दोहे
हिंदी साहित्य में कबीर का व्यक्तित्व अनुपम है। Kabir mostly known as "Weaver saint of Varanasi".
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खरा धर्म - खरा तो एकची धर्म। जगाला प...
साने गुरूजींचे संपूर्ण नाव - पांडुरंग सदाशिव साने
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विठाचे अभंग - जननी बाळका कोपे रागें । प...
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली तसेच त्यांच्या कुटुंबातील मंडळींनी देखील अभंग रचना केलेल्या आहेत.
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कंपूचा पोवाडा - करविर किल्ला बहु रंगेला प...
पोवाडा म्हणजे इतिहासाचे एक साधन. पोवाडा नेहमी समकालीन साक्षीदाराप्रमाणे विश्वसनीय असतो.
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मानापमान - युवतिमना दारुण रण रुचिर प...
बालगंधर्वांच्या मानापमानमधील ’भामिनी’ने अख्ख्या महाराष्ट्राला वेड लावले होते.
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रामजोशी - कांताला एकांतीं कधिं प...
रामजोशांनी लिहिलेली कविता मोठी मधुर, अर्थसंपन्न व प्रासअनुप्रासांची पैंजणे घालून ठुमकणारी अशी आहे. शृंगारपर, उपदेशपर व देवदैवतविषयक अशा अनेक प्रकारच्या लावण्या रामजोशांनी लिहिल्या.
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भारुड - ताकीदपत्र - समस्त राजकर्ते धुरंधर । प...
भारुड Bharude is a kind of satirical form of presenting the faults of lay human beings. It was started by Eknath who is revered as a saint.
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गणपतीची आरती - जग ताराया अवतरलासी भक्त प...
Ganapati Arati - Prayer to Lord Ganesha गणपतीची आरती - जग ताराया अवतरलासी
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झिम्मा - खाल्ल्या पटींत । वरल्या प...
लोकगीते ही लोकांची गाणी आहेत. जी कोणी एक व्यक्ति नाहीं तर पूर्ण समाज गात असतो. सामान्यतः लोकांत प्रचलित, लोकांद्वारे रचित आणि लोकांसाठी लिहीलेली गाणी यांनाच लोकगीते म्हणतात.
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कबीर के दोहे - सुनो प्यारे हरीरे भगत । प...
कबीर के दोहे
हिंदी साहित्य में कबीर का व्यक्तित्व अनुपम है। Kabir mostly known as "Weaver saint of Varanasi".
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कर्पूरादिस्तोत्रम् - ॐ श्रीगुरवे नमः । ॐ नमः प...
सती पार्वतीची दहा रूपे - काली, तारा, छिन्नमस्ता, भुवनेश्वरी, बगलामुखी, धूमावती, त्रिपुर सुंदरी, मातंगी, षोड़शी आणि भैरवी.
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कबीर के दोहे - साधूकी संगत पायी ज्याकी प...
कबीर के दोहे
हिंदी साहित्य में कबीर का व्यक्तित्व अनुपम है। Kabir mostly known as "Weaver saint of Varanasi".
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गज्जलाञ्जलि - जरि यौवनीं शिरलीस चञ्चल प...
डॉ. माधव त्रिंबक पटवर्धन ऊर्फ माधव जूलियन, (जन्म २१ जानेवारी १८९४; मृत्यु २९ नोव्हेंबर १९३९) हे मराठी भाषेतील प्रतिथयश कवी होऊन गेले.
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श्रीअंकुशधारी महाराज रचित - नमो परमं ब्रह्मणस्पति । प...
पूजा करण्याआधी मन प्रसन्न करण्यासाठी त्या त्या देवीदेवताचे स्तवन करावे.
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भजन - प्रभु मेरे प्रीतम प्रान प...
हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।
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संत सोयराबाई - ऐसा आनंदसोहळा । निर्मळा प...
संत सोयराबाईंच्या अभंगातून विठ्ठलाशी जवळीक साधण्याचा मार्ग सापडतो.
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संत निवृत्तीनाथांचे अभंग - विश्वंभरमूर्ति विश्वाचे प...
संत निवृत्तीनाथांचे अभंग संत निवृत्तीनाथ हे संत ज्ञानेश्वर महाराजांचे थोरले बंधू होत.सर्वसामान्य जनतेला संस्कृत भाषेतील भगवद्गीता समजत नव्हती म्हणून निवृत्तीनाथांनी ज्ञानेश्वरांना प्राकृत(मराठी)भाषेत लिहीण्यास सांगितली, तीच "ज्ञानेश्वरी". The eldest, Nivrutti, joined the nath sect and became Nivruttinath. He also become the guru of Dnyaneshwar. He, at the age of fourteen, instructed Dnyaneshwar, who was twelve, to write a commentry on the Bhagavad Gita
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