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ग्राम्या
ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।
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ग्राम्या
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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॥ अथ मांसगुणाः ॥
’ योगरत्नाकर ’ हा आयुर्वेदावरील मूळ प्राचीन ग्रंथ आहे.
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vulgar
Meanings: 13; in Dictionaries: 6
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श्री तुलसी जी - जय-जय तुलसी माता। सब जग क...
आरती हिन्दू उपासना की एक विधि है Aarti, ãrti, arathi, or ãrati is a Hindu ritual
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शृङ्गारप्रवाहः - सुभाषित ५६१ - ५८०
सुभाषित म्हणजे आदर्श वचन. सुभाषित गद्य किंवा पद्यात असतात. Subhashita means good speech.
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उत्पत्तिप्रकरणं - सर्गः ४९
योगवासिष्ठः
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सुमित्रानंदन पंत - परिचय
सुमित्रानंदन पंतकी कविताओं में प्रकृति और सौंदर्य के रमणीय चित्र मिलते हैं,तथा उनकी कविताओं में प्रगतिवाद और विचारशीलता भी है। उनकी रचनाये मानव कल्याण की भावनाओं सो ओतप्रोत हैं।
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निर्वाणप्रकरणं - सर्गः २३
योगवाशिष्ठ महारामायण संस्कृत साहित्यामध्ये अद्वैत वेदान्त विषयावरील एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ आहे. ह्याचे रचयिता आहेत - वशिष्ठ
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उपशमप्रकरणम् - सर्गः ४७
योगवाशिष्ठ महारामायण संस्कृत साहित्यामध्ये अद्वैत वेदान्त विषयावरील एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ आहे. ह्याचे रचयिता आहेत - वशिष्ठ
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विंशतिकाण्ड: - ५६ ते ६०
पैप्पलादसंहिता
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अध्याय २० वा - श्लोक २१ ते २५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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अथ दण्डपारुष्ये दण्ड:
केशवपण्डितकृतम् धर्मकल्पलनान्तर्गतनीतिमज्जर्यां दण्डनीतिप्रकरणम् ।
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ऋग्वेदीयब्रह्मकर्मसमुच्चयः - अथमहान्यास:
ऋग्वेदीयब्रह्मकर्मसमुच्चयः
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मत्स्यपुराणम् - अध्यायः १७९
मत्स्य पुराणात सात कल्पांचे वर्णन असून हे पुराण नृसिंह वर्णनापासून सुरू होते.
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पञ्चदशकाण्ड: - ११ ते १५
पैप्पलादसंहिता
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निर्वाणप्रकरणं - सर्गः ९४
योगवाशिष्ठ महारामायण संस्कृत साहित्यामध्ये अद्वैत वेदान्त विषयावरील एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ आहे. ह्याचे रचयिता आहेत - वशिष्ठ
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ५२५
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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द्वापरयुगसन्तानः - अध्यायः २००
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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॥ अथ नासारोगाधिकार: ॥
’ योगरत्नाकर ’ हा आयुर्वेदावरील मूळ प्राचीन ग्रंथ आहे.
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राजनिघण्टु - शताह्वादिवर्ग
नरहरि पन्डित रचित राजनिघण्टु ग्रंथ म्हणजे आयुर्वेदातील एक मैलाचा दगड.
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राजनिघण्टु - ऊलकादिवर्ग
नरहरि पन्डित रचित राजनिघण्टु ग्रंथ म्हणजे आयुर्वेदातील एक मैलाचा दगड.
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सृष्टिखण्डः - अध्यायः ३
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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हंसदूत
ऱुप गोस्वमिन्कृत हंसदूत
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शार्ङ्गधरसंहिता - द्वितीयं परिशिष्टम्
संहिता हिन्दू धर्मातील पवित्र आणि सर्वोच्च धर्मग्रन्थ वेदांतील मन्त्रांचे खण्ड होत.
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परमेश्वरसंहिता - अष्टादशोऽध्यायः
परमेश्वरसंहिता
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ध्वन्यालोकः - तृतीय उद्योतः
ध्वन्यालोकः हा ग्रंथ श्रीराजानकानन्दवर्धनाचार्य: यांनी रचिलेला आहे.
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