बारहवें भावमें कोई ग्रह स्थित हो तो वह कुशील, काना, पापी, दुःखी, बडा खर्चीला और दुष्ट होवै । व्ययभावमें क्षीणचन्द्रमा अथवा सूर्य या दोनों बैठे होयँ तो उसका धन राजा हरै और जो मंगलकी दृष्टि होय तौभी राजा धन हरता है । जो पूर्ण चंद्रमा, बृहस्पति, बुध, शुक्र ये बारहवें भावमें बैठे होंय तो उसका धन शुभ कार्योंमें खर्च होय, जो बारहवें शनि बैठे या मंगलभी बैठा होय तो धनका नाश करै ॥१-३॥