जिसके केमद्रुमयोग होवै वह पुत्र स्त्री करके हीन, देशान्तरमें रहनेवाला, सदा दुःखित, जातिके प्रमोदमें रत, वाचाल और कुचालवाला, नीच, सदा भयसे युक्त और बहुत उमरवाली होता है । दुर्धरायोगमें उत्पन्न हुआ मनुष्य अपने कुलमें सदा भोग और धनको भोगनेवाला, धनकरके युक्त और सौख्यवाला होता है तथा केमद्रुममें उत्पन्न हुआ मनुष्य मलिन, दुःखित, नीच, दूत, दरिद्री, राजाके यहांभी उत्पन्न हुआ हो तोभी ऐसा होता है ॥१॥२॥