सार्वभौमव्रत
( वराहपुराण ) - कार्तिक शुक्ल दशमीको प्रातःस्त्रान करके नक्तव्रत करनेकी प्रतिज्ञा करे और विविध प्रकारके चित्र - विचित्र गन्ध - पुष्पादिसे दिशाओंका पूजन करके दध्योदनादिकी शुद्ध बलि दे । उस समय -
' सर्वा भवत्यः सिध्यन्तु मम जन्मनि जन्मनि ।'
यह प्रार्थना करे और अर्धरात्रिमें दध्योदन ( दही और भात ) का भोजन करे । इस प्रकार प्रत्येक मासकी शुक्ल दशमीको वर्षभर करे तो दिग्विजयी ( अथवा सर्वत्र विजयी ) होता है ।