कार्तिक शुक्लपक्ष व्रत - गोवर्धनपूजा

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


गोवर्धनपूजा

( हेमाद्री ) - दीपावलीके दूसरे दिन प्रभातके समय मकानके द्वारदेशमें गौके गोबरका गोवर्धन बनाये । शास्त्रमें उसको शिखरप्रयुक्त, वृक्ष - शाखादिसे संयुक्त और पुष्पादिसे सुशोभित बनानेका विधान हैं; किंतु अनेक स्थानोंमें उसे मनुष्यके आकारका बनाकर पुष्पादिसे भूषित करते हैं । चाहे जैसा हो, उसका गन्ध - पुष्पादिसे पूजन करके

' गोवर्धन धराधार गोकुलत्राणकारक । विष्णुबाहुकृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रदो भव ॥'

से प्रार्थना करे । इसके पीछे भूषणीय गौओंका आवाहन करके उनका यथाविधि पूजन करे और

' लक्ष्मीयाँ लोकपालानां धेनुरुपेण संस्थिता । घृतं वहति यज्ञार्थे मम पापं व्यपोहतु ॥'

से प्रार्थना करके रात्रिमें गौसे गोवर्धनका उपमर्दन कराये ।

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Last Updated : January 22, 2009

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