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आरति करो मन आरति करो । ग...

भजन - आरति करो मन आरति करो । ग...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


आरति करो मन आरति करो ।

गुरु-प्रताप साधुकी संगति, आवागमन तें छूटि पड़ो ॥

अनहद ताल आदि सुध बानी, बिनु जिभ्या गुन बेद पढ़ो ।

आपा उलटि आतमा पूजो, त्रिकुटी न्हाइ सुमेर चढ़ो ॥

सारँग सेत सुरतिसो राखो, मन पतंग होइ अजर जरो ।

ज्ञानकै दीप बरि बनि बाती, कह 'यारी' तहँ ध्यान धरो ॥

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Last Updated : December 25, 2007

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