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बिन बंदगी इस आलममें , खान...

भजन - बिन बंदगी इस आलममें , खान...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


बिन बंदगी इस आलममें, खाना तुझे हराम है रे !

बंदा करै सोइ बंदगी, खिदमतमेम आठों जाम है रे !

'यारी' मौला बिसारके, तू क्या लागा बेकाम है रे !

कुछ जीते-जी बंदगी कर ले, आखिरको गोर मुकाम है रे !

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Last Updated : December 25, 2007

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