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दोउ मूँदके नैन अन्दर , दे...

भजन - दोउ मूँदके नैन अन्दर , दे...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


दोउ मूँदके नैन अन्दर, देखा, नहिं चाँद सूरज दिन रात है रे !

रोशन समा बिनु तेल-बाती, उस जोतिसों सबै सिफाति है रे !

गोता मार देखो आदम, कोउ और नाहिं संग-साथि है रे !

'यारी' कहै तहकीक किया, तू मलकुल मौतकी जाति है रे !!

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Last Updated : December 25, 2007

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