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सुदक्षिण

   { sudakṣiṇa 1, sudakṣiṇa }
Script: Devanagari

सुदक्षिण     

Puranic Encyclopaedia  | English  English
SUDAKṢIṆA   II. A king of Kāmboja (Kabul). The following information is taken from Mahābhārata about this king.
(i) Sudakṣiṇa had been present at the Svayaṁvara marriage of Draupadī. [Ādi Parva, Chapter 185, Verse 15] .
(ii) He came with an akṣauhiṇī of army to help Duryodhana against the Pāṇḍavas in the battle of Bhārata. [M.B. Udyoga Parva, Chapter 19, Verse 21] .
(iii) Sudakṣiṇa was a valiant fighter in the army of the Kauravas. [M.B. Udyoga Parva, Chapter 160, Verse 1] .
(iv) On the first day of the battle of Bhārata. there was a combat between Śrutakarmā and Sudakṣiṇa. [M.B. Bhīṣma Parva, Chapter 45, Verse 66] .
(v) There was another combat between Abhimanyu and Sudakṣiṇa. [M.B. Bhīṣma Parva, Chapter 45, Verse 66] .
(vi) Arjuna killed Sudakṣiṇa in the battle of Bhārata. [M.B. Droṇa Parva, Chapter 92, Verse 61] .
(vii) The younger brother of Sudakṣiṇa confronted Arjuna to avenge the death of his brother and was killed by Arjuna. [M.B. Karṇa Parva, Chapter 56, Verse 110] .
SUDAKṢIṆA 1   The son of king Pauṇḍraka. Śrī- Kṛṣṇa killed Pauṇḍraka in battle and his head, cut off by Śrī Kṛṣṇa, fell in the country of Kāśī. Sudakṣiṇa who learned about the death of his father, went to Kāśī and recognized the head by the ear-rings. Sudakṣiṇa made up his mind to kill Śrī Kṛṣṇa somehow or other and began to do penance in Kāśī before Śiva. Pleased with his penance Śiva appeared before him and advised him to create a wicked fairy from the fire of sorcery. Accordingly Sudakṣiṇa prepared a fire of sorcery, from which a wicked fairy came out and ran towards Śrī Kṛṣṇa. Śrī Kṛṣṇa sent his weapon the Discus which cut off the head of the wicked fairy and from there the Discus flew to Kāśi and turned Sudakṣiṇa to ashes, and returned to Dvārakā. [Bhāgavata, Skandha 10] .
SUDAKṢIṆA III   A warrior who fought on the side of the Pāṇḍavas. Droṇācārya shot him down from the chariot with an arrow. [M.B. Droṇa Parva, Chapter 21, Verse 56] .

सुदक्षिण     

सुदक्षिण n.  पांडवपक्ष का एक राजा, जिसे द्रोणाचार्य वध कर रथ के नीचे गिरा दिया था [म. द्रो. २०.४४]
सुदक्षिण (क्षैमि) n.  एक आचार्य, जिसक तिरस्कृत मान कर एक यज्ञसमारोह से निकाल दिया था । पश्चात् इसके स्थान पर, शुक्र एवं गोश्रु जाबालि नामक आचार्यों की उस यज्ञ में नियुक्ति की गयी थी [जै. उ. ब्रा. ३.६.३, ७.१.३-६]
सुदक्षिण (कांबोज) n.  एक राजा, जो कांबोज (काबुल) देश का अधिपति था । महाभारत में इसका निर्देश ‘कांबोजाधिपति’ [म. आ. १७७.१५] , एवं ‘कांबोज’ [म. स. २४.२२] नाम से किया गया है । महाभारत में अन्यत्र इसे शक एवं यवन लोगों का राजा कहा गया है [म. उ. १९.२१] । युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ के समय, अर्जुन ने अपने पश्चिम दिग्विजय में इसे जीता था [म. स. २४.२२] । भारतीय युद्ध में यह कौरवों के पक्ष में शामिल था, एवं उस पक्ष के उत्कृष्ट रथियों में इसकी गणना की जाती थी [म. उ. १६३.१] । इस युद्ध में सहदेवपुत्र श्रुतवर्मन् के साथ इसका घमासान युद्ध हुआ था [म. भी. ४३.६४] । अन्त में अर्जुन ने इसका एवं इसके छोटे भाई का वध किया [म. द्रो. ६७-६८] ;[क. ४०.१०५] । इसके मृत शरीर को देख कर इसकी पत्‍नी ने अत्यधिक विलाप किया [म. स्त्री. २५.१.५]
सुदक्षिण (काशिराज) n.  एक राजा, जो पौंड्रक वायुदेव के साथ कृष्ण का शत्रुत्त्व करनेवाले काशिराज का पुत्र था । इसके पिता का कृष्ण के द्वारा वध किये जाने पर, इसने अपने पिता का बदला लेने के लिए कृष्ण का वध करने की घोर प्रतिज्ञा की, एवं तत्प्रीत्यर्थ वारावणसी क्षेत्र में शिव की तपस्या प्रारंभ की। इसकी तपस्या से प्रसन्न हो कर, शिव ने इसे जारणमारण की अधिष्ठात्री देवी दक्षिणाग्नि की आराधना करने का आदेश दिया । शिव के उपर्युक्त आदेशानुसार, इसने अपने ऋत्विजों के साथ दाक्षिणाग्नि की आराधना प्रारंभ की । इस आराधना के कारण इसके यज्ञकुण्ड से एक महाभयंकर ‘अभिचार’ अग्नि बाहर निकली, एवं दशदिशाओं को जलाती हुयी द्वाराका नगरी में पहुँच गयी। अक्षक्रीड़ा में निमग्न हुए कृष्ण को वह जलानेवाली ही थी कि, कृष्ण ने अपना सुदर्शनचक्र छोड़ कर उस अग्नि को लौटा दिया । पश्चात् उस अग्नि वे वाराणसी की ओर पुरः एक बार मुड़ कर, इसे एवं इसके ऋत्विजों को जला कर भस्म कर दिया [भा. १०.६६२७-४२]
सुदक्षिण II. n.  कामरूप देश का एक शिवभक्त राजा, जिसका रक्षण करने के लिए भीमाशंकर ने भीमासुर का वध किया था [शिव. शत. ४२.१९]

सुदक्षिण     

A Sanskrit English Dictionary | Sanskrit  English
सु—दक्षिण  mfn. mfn. having an excellent right hand, [RV.]
ROOTS:
सु दक्षिण
very dexterous, [MBh.]
very courteous or polite, ib.
very sincere or upright, very liberal in sacrificial gifts, [MW.]
सु—दक्षिण  m. m.N. of a king of the कम्बोजs, [MBh.]
ROOTS:
सु दक्षिण
of a son of पौण्ड्रक, [BhP.]

सुदक्षिण     

Shabda-Sagara | Sanskrit  English
सुदक्षिण  m.  (-णः) A sovereign of VIDARBHA.
 f.  (-णा) The wife of DILĪPA. Adj.
1. Very sincere or upright.
2. Liberal in sacrificial gifts.
E. सु very, दक्षिण clever.
ROOTS:
सु दक्षिण

सुदक्षिण     

See : शिष्ट

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