-
प्रयोज्यः
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.4895416 | Lang: NA
-
प्रयोज्यः. प्रयोज्या
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.3059635 | Lang: NA
-
addable
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.1316603 | Lang: NA
-
addible
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.1316603 | Lang: NA
-
messenger
Meanings: 12; in Dictionaries: 9
Type: WORD | Rank: 0.01471422 | Lang: NA
-
available
Meanings: 11; in Dictionaries: 10
Type: WORD | Rank: 0.01471422 | Lang: NA
-
serviceable
Meanings: 10; in Dictionaries: 5
Type: WORD | Rank: 0.01177138 | Lang: NA
-
applicable
Meanings: 9; in Dictionaries: 7
Type: WORD | Rank: 0.01177138 | Lang: NA
-
उत्तरखण्डः - रसायनाधिकारः
भावप्रकाशसंहिता
Type: PAGE | Rank: 0.008323619 | Lang: NA
-
hire
Meanings: 22; in Dictionaries: 7
Type: WORD | Rank: 0.005149977 | Lang: NA
-
instrument
Meanings: 58; in Dictionaries: 22
Type: WORD | Rank: 0.005149977 | Lang: NA
-
शिव तंत्र - अध्यायों का वर्णन
भगवान शिव ने लंकापती रावण को जो तंत्रज्ञान दिया , उसमेंसे ये साधनाएं शीघ्र सिद्धि प्रदान करने वाली है ।
Type: PAGE | Rank: 0.003678555 | Lang: NA
-
अहिर्बुध्नसंहिता - अध्यायः २०
संहिता हिन्दू धर्मातील पवित्र आणि सर्वोच्च धर्मग्रन्थ वेदांतील मन्त्रांचे खण्ड होत.
Type: PAGE | Rank: 0.003678555 | Lang: NA
-
उत्तरस्थानम् - चतुस्त्रिंशोऽध्यायः
हिन्दू धर्मातील पवित्र आणि सर्वोच्च धर्मग्रन्थ वेदांतील मन्त्रांचे खण्ड म्हणजेच संहिता.
Type: PAGE | Rank: 0.003678555 | Lang: NA
-
अर्थशास्त्रम् अध्याय ०५ - भाग २
अर्थशास्त्र या ग्रंथात राज्यव्यवस्था, कृषि, न्याय आणि राजनीति वगैरे विभिन्न विषयांवर विचार केला गेला आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.003678555 | Lang: NA
-
चिकित्सास्थान - रसायनाध्याय ३
चरक संहिता आयुर्वेदासंबंधी एक प्रसिद्ध ग्रन्थ आहे. हा ग्रंथ संस्कृत भाषेत आहे. या ग्रंथाचे उपदेशक अत्रिपुत्र पुनर्वसु, ग्रंथकर्ता अग्निवेश आणि प्रतिसंस्कारक चरक हे होत. Charaka Sanhita is believed to be the oldest Ayurvedic text on internal medicine.
Type: PAGE | Rank: 0.003641583 | Lang: NA
-
भक्तामर स्तोत्र - भक्तामर- प्रणत- मौलिमणि- ...
देवी देवतांची स्तुती करताना म्हणावयाच्या रचना म्हणजेच स्तोत्रे.
A Stotra is a hymn of praise, that praise aspects of Devi and Devtas.
Type: PAGE | Rank: 0.002942844 | Lang: NA
-
सर्ववेदसारसंग्रहः - कुमत खण्डनम्
' सर्ववेदान्तसिद्धान्तसारसंग्रहः' यात सर्व वेदांतील सार सोप्या भाषेत कथन केले असून, वेद वाचल्याचा आनंद मिळतो.
Type: PAGE | Rank: 0.002942844 | Lang: NA
-
रसरत्नसमुच्चय - अध्याय १३
श्रीशालिनाथ कृत रसरत्नसमुच्चय रसचिकित्सा का सर्वांगपूर्ण ग्रन्थ है । इसमें रसों के उत्तम उपयोग तथा पारद-लोह के अनेक संस्कारों का उत्तम वर्णन है अतएव समाज में यह बहुपयोगी सिद्ध हो रहा है ।
Type: PAGE | Rank: 0.002942844 | Lang: NA
-
उत्तरस्थान - अध्याय ३४
आयुर्वेदातील अष्टांग हृदय प्रसिद्ध ग्रंथ आहे. याचे रचनाकार आहेत, वाग्भट. या ग्रंथाचा रचनाकाल ई.पू.५०० ते ई.पू.२५० मानतात. या ग्रंथात औषधि आणि शल्यचिकित्सा दोन्हींचाही समावेश आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.002574988 | Lang: NA
-
पाद ४ - खण्ड २०
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.002230005 | Lang: NA
-
उत्तरखण्डम् - एकादशोऽध्यायः
संहिता हिन्दू धर्मातील पवित्र आणि सर्वोच्च धर्मग्रन्थ वेदांतील मन्त्रांचे खण्ड होत.
Type: PAGE | Rank: 0.002207133 | Lang: NA
-
चिकित्सास्थानम् - प्रथमोऽध्यायः
हिन्दू धर्मातील पवित्र आणि सर्वोच्च धर्मग्रन्थ वेदांतील मन्त्रांचे खण्ड म्हणजेच संहिता.
Type: PAGE | Rank: 0.002207133 | Lang: NA
-
शार्ङ्गधरसंहिता - प्रथमं परिशिष्टम्
संहिता हिन्दू धर्मातील पवित्र आणि सर्वोच्च धर्मग्रन्थ वेदांतील मन्त्रांचे खण्ड होत.
Type: PAGE | Rank: 0.001560679 | Lang: NA
-
द्वितीयः भागः - प्रकरणम् ३
भावप्रकाशसंहिता
Type: PAGE | Rank: 0.001471422 | Lang: NA
-
दशकुमारचरितम् - अष्टमोच्छ्वासः
दशकुमारचरित हे अत्यंत मधुर काव्य असून ते वाचल्याने अत्यंत समाधान मिळते .
Type: PAGE | Rank: 0.001471422 | Lang: NA
-
नाट्यशास्त्रम् - अथ चतुर्थोऽध्यायः
भरत मुनींनी नाट्य शास्त्राची निर्मिती प्रत्यक्ष ब्रह्मदेवाच्या सांगण्यावरून केली असा समज आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.001471422 | Lang: NA
-
पाद १ - खण्ड ३३
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.001287494 | Lang: NA
-
साहित्य दर्पण - दशमः परिच्छेदः
साहित्य दर्पण संस्कृत भाषा में साहित्य-विषयक महान ग्रन्थ है। इसके रचयिता विश्वनाथ हैं। साहित्य दर्पण के रचयिता का समय 14वीं शताब्दी ठहराया जाता है।
Type: PAGE | Rank: 0.0009196387 | Lang: NA
-
प्रथमः भागः - ज्वराधिकारः
भावप्रकाशसंहिता
Type: PAGE | Rank: 0.0009196387 | Lang: NA