मारीच n. एक राक्षस, जो रावण का आश्रित था । यह सुंद राक्षस का पुत्र था, एवं इसकी माता का नाम ताटका था
[वा.रा.बा.२५] । ब्रह्मांड में इसे ह्राद राक्षस का पुत्र, एवं हिरण्यकशिपु का नाती बताया गया है
[ब्रह्मांड.३.५.३६] । बह्मा के वर के कारण, इसे देवताओं से भी अजेयत्व प्राप्त हुआ था
[वा.रा.अर.३८] ।
मारीच n. पूर्वजन्म में यह एक यक्ष था, जिसके पिता का अगस्त्य ऋषि ने वध किया था । बडा होने पर, इसे अगस्त्य ऋषि के इस कृत्य का ज्ञान हुआ, जिस कारण इसने पर आक्रमण किया । पश्चात् अगस्त्य ऋषि ने इस अगले जन्म में राक्षस प्राप्त होने का शाप दिया
[वा.रा.बा.२५] ।
मारीच n. इसमें दस हजार हाथियों का बल था । यह सुमालि राक्षस के चार अमात्यों में से एक था । अपनी माता के साथ यह मलद तथा करुष देशों में रहता था, तथा पास ही होनेवाले विश्वामित्र के यज्ञ का विध्वंस करता था । इसलिये विश्वामित्र अपने यज्ञ के संरक्षण के लिए, राम को दशरथ से ले आये । राम के बाण से इसके भाई सुबाहु का वध हुआ, एवं उसी बाण के पुच्छभाग से आहत हो कर, यह समुद्र में जा गिरा
[म.स.परि.१.क्र.२१.पंक्ति ५०१] । बाद में यह लंका में रावण का आश्रित बना कर रहने लगा । जिस समय राम, लक्ष्मण तथा सीता पंचवटी में आकर रहे थे, तब यह दो राक्षसों के साथ हिरन का रुप धारण कर, राम से अपनी शत्रुता का बदला लेने के लिए वहॉं गया । इन्हे देख कर राम ने बाण छोडे, जिसमें इनके दोनों साथियों का वध हुआ, एवं यह वहॉं से भाग निकला
[वा.रा.अर.३८.३९] _।
मारीच n. $वध--बाद में जब रावण ने सीताहरण विचार किया, तब उसने इसकी सहायता मॉंगी । परन्तु यह राम से इतना अत्यधिक घबराता था कि, ‘र’ शब्द से आरम्भ होनेवाले राजीव, रत्न तथा रमणी शब्द सुनकर ही धैर्य खो बैठता । इसने रावण से बारबार अनुनय किया, किन्तु उसके डराने धमकाने में आ कर, इसे मजबूरन उसका साथ देना पडा
[वा.रा.अर.४०-४१] । पंचवटी में आने के उपरांत, यह सुंदर मृग का रुप धारण कर घूमने लगा । इसे देखकर सीता ने राम से इसे मारने के लिये कहा, जिससे वह इसके मृगचर्म की सुंदर कंचुकी बना सके । सीता की इच्छा पूर्ण करने के हेतु. राम ने इसका पीछा किया, एवं इसका वध किया
[वा.रा.अर.४३] ;
[म.व.२६२.१७-२१] । मरते समय इसने राम की भॉंति पुकारा, ‘लक्ष्मण दौडो’। इसे सुन कर, सीता ने राम को आपत्ति में जान कर, तुरन्त लक्ष्मण को उसकी सहायतार्थ भेजा । इधर रावण ने सीता का हरण किया ।
मारीच II. n. कश्यपकुलोत्पन्न एक गोत्रकार ऋषिगण ।