माधव n. उत्तम मन्वन्तर के मनु का पुत्र ।
माधव II. n. भौत्य मनु का एक पुत्र ।
माधव III. n. भृगुकुल का एक गोत्रकार, जिसके लिए ‘मथित’ पाठभेद प्राप्त है ।
माधव IV. n. एक राजा, जो तालध्वज नगर के विक्रम राजा का पुत्र था । इसकी चमत्कृतिपूर्ण जीवनकथा पद्म में प्राप्त है । यह चन्द्रकला नामक क्षत्रिय स्त्री को अत्यधिक चाहता था, किंतु वह इससे विवाह न करना चाहती थी । अतएव उसने माधव से कहा, ‘सुलोचना नामक एक सुंदर राजकन्या की जानकारी मै तुम्हे बताती हूँ, जो मुझसे कही अधिक सुंदर, तथा तुम्हारी जीवनसंगिनी बनने योग्य है ।
माधव IV. n. चंद्रकला के कथनानुसार, माधव अपने दिव्य अश्व की सहायता से समुद्र को लॉंघ कर प्लक्ष द्वीप गया, जहॉं सुलोचना रहती था । वहॉं जाकर इसे पता चला कि, उसकी शादी एक ‘विद्याधर’ से होने वाली है । अतएव इसने तुरन्त ही सुलोचना को एक प्रेमपत्र भेजा, एवं अपनी जानकारी बताते हुए उससे शादी की इच्छा व्यक्त की । सुलोचना ने पत्रोत्तर देकर इसे आश्वासन दिया कि, विवाह मण्डप में विद्याधर का वरण न कर के, वह इसका ही वरण करेगी । दूसरे दिन पाणिग्रहण के समय विवाहमण्डप में इसे नींद आ गयी । यह देखकर इसके प्रचेष्ट नामक सेवक ने सुलोचना का हरण किया, तथा यह सोता ही रहा । सुलोचना ने माधव से शादी करने का प्रण किया था । अतएव वह प्रचेष्ट के यहॉं से भाग कर, सुषेण नामक राज के यहॉं वीरवर नामक पुरुष का वेष धारण कर के नौकरी करने लगी । एक दिन वहॉं उसने एक गेंडा मारा, जो पूर्वज्न्म में धर्मबुद्धि नामक राजा था (धर्मबुद्धि देखिये) ।
माधव IV. n. सुलोचना के वियोग में पीडित होकर, एक दिन विद्याधर एवं प्रचेष्ट गंगा में प्राण देने के लिए जा रहे थे । किंतु वे दोनो सुलोचना के द्वारा बचा लिए गये । बाद में सुलोचना को ढूँढते ढूँढते एकाएक वहॉं माधव भी आ पहुँचा, जो सुलोचना से निराश होकर गंगा के तट पर आत्महत्या के लिए आया था । सुलोचना को देखकर, इसने अपनी सारी कथा उसे कह सुनायी, एवं उसके साथ विवाह किया । आगे चल कर यही माधव प्रख्यात विष्णु-भक्त बना
[पद्म.क्रि.५.६] ।
माधव V. n. (सो.यदु.) एक यादव राजा, जो यदु राजा का पुत्र था । धूम्रवर्ण नामक नाग की कन्या इसकी माता थी । इसके पुत्र का नाम सत्त्वत एवं पौत्र का नाम भीम था । उनमें से भीम राजा राम दाशरथि राजा का समकालीन था । सुविख्यात यादव वंश की स्थापना यदु एवं उसका पुत्र माधव राजा ने की थी । यादव-वंश का वंशक्रम निम्न प्रकार हैः--- माधव-सत्वत-भीम-कुश-लव-भीम-अंधक-रैवत-ऋक्ष-रैवत-विश्वगर्भ-वसु-बभ्रु-सुषेण-समाक्ष
[ह.वं.२.३८] । इनमें से सात्वतराज भीम राजा के राज्यकाल में मधुबन में स्थित लवणाक्ष का वध शत्रुघ्न ने किया, एवं मधुबन में मथुरा नगरी की स्थापना भीमराजा के द्वारा की गयी ।
माधव VI. n. एक धार्मिक ब्राह्मण । एक दिन होम में बलि देने के लिए यह एक बकरा लाया । यह उसका वध करने जा रहा था कि, उस बकरे ने मानव-वाणी में अपने पूर्वजन्म की कथा बतायी, एवं इससे प्रार्थना की कि, यदि यह उसे गीता के नौवे अध्याय को सुना कर उसका वध करे, तो वह भी अपने दुःख से मुक्त हो जाये । माधव ने बकरे की प्रार्थना को मान उसे गीता के नौवे अध्याय को सुनाया, जिससे उसका उद्धार हुआ
[पद्म.उ.१८३] ।