धृष्टकेतु n. (सो. ऋक्ष.) चेदिराज शिशुपाल का पुत्र, एवं एक पराक्रमी पांडवपक्षीय राजा । हिरण्यकशिपु का पुत्र अनुह्राद के अंश से यह उत्पन्न हुआ था
[म.आ.६१.७] । यह एवं उसके पुत्र अत्यंत शूर थे
[म.उ.१६८.८] । इसके साथ रण में युद्ध करने की किसी की हिम्मत न होती थी
[म.उ.७८.१४] । भीम के द्वारा शिशुपाल का वध होने पर, धृष्टकेतु को चेदि देश के राजसिंहासन पर अभिषिक्त किया गया
[म.स.४२.३१] । यह पहले से ही पांडवों का पक्षपाती एवं मित्र था । पांडवों के वनवास में, यह उन्हें मिलने के लिये गया था
[म.व.१३.२] । भारतीय युद्ध शुरु होते ही, पांडवों की ओर से धृष्टकेतु को रणनिमंत्रण दिया गया
[म.उ.४.८] । एक अक्षौहिणी सेना के साथ, यह पांडवों के पक्ष में शामिल हुआ
[म.उ.१९.७] । इसके पास कांबोज देश के सफेद-काले रंग के अत्युत्कृष्ट अश्व थे । वे भी इसने युद्ध के लिये लाये थे
[म.द्रो.२२.१६] । पांडवों के सात सेनापतियों में से एक के पद पर, इसे नियुक्त किया गया था
[म.उ.१५४.१०-११] । अर्जुन के रथ का चक्ररक्षण का काम इस पर सौंपा गया था । वह कार्य भी इसने उत्कृष्ट तरह से निभाया
[म.भी.१९.१८] । भारतीय युद्ध में, इसने निम्नलिखित प्रतिपक्षीय वीरों से युद्ध कर के पराक्रम दिखा थाः
धृष्टकेतु II. n. (सू. निमि.) विष्णुमत में सत्यधृति का पुत्र । भागवत तथा वायुमत में यह सुधृति का पुत्र था ।
धृष्टकेतु III. n. (सो. काश्य.) भागवतमत में सत्यकेतु का एवं विष्णु तथा वायुमत में सुकुमार का पुत्र
[गरुड १.१३९] ।
धृष्टकेतु IV. n. (सो. अज.) भागवत, विष्णु तथा वायुमत में धृष्टाद्युम्न का पुत्र । यह भारतीय युद्ध में पांडवों के पक्ष में था । द्रोण ने इसका वध किया । इसकी मृत्यु से पांचाल वंश समाप्त हुआ
[म.द्रो.१३०.१२] ।
धृष्टकेतु V. n. केकय देश का राजा । इसकी स्त्री श्रुतकीर्ति । इसे संतर्दन
[विष्णु.४.१४] ;
[भा.९.२४.३८] , चेकितान, बृहत्क्षत्र, विंद तथा अनुविंद
[वायु.९६.१५६] नामक पॉंच पुत्र थे ।
धृष्टकेतु VI. n. (सू.) एक राजा । वायु,मत्स्य, तथा पद्ममत में यह धृष्ट का पुत्र, एवं वैवस्वत मनु का पौत्र
[पद्म. सृ.८] ।
धृष्टकेतु VII. n. नृग का पुत्र
[लिंग. १.६६.४६] ।