बाह्रीक n. (सो. पूरु.) कुरुवंशीय प्रतीप राजा का पुत्र, जो देवापि एवं शन्तनु का ज्येष्ठ भाई था
[भा.९.२२] । इसकी माता का नाम सुनंदा था, जो शिबि देश की राजकन्या थी
[म.आ.८९.५२] । शिबि राजा को पुत्र न था, जिस कारण यह उस राज्य का उत्तराधिकारी बन गया । प्रतीप का पुत्र होने से इसे ‘प्रातिपीय’ उपाधि प्राप्त थी । भागवत के अनुसार, इसके पुत्र का नाम सोमदत्त था
[भा.९.२२.१८] । भारतीय युद्ध में, यह कौरवों के पक्ष में शामिल था । दुर्योधन की ग्यारह अक्षोहिणी सेनाओं के जो सेनापति चुने गये थे, उनमें यह भी एक था । यह स्वयं अतिरथि था
[म.उ.१६४.२८] । धृष्टकेतु, द्रुपद, शिखण्डिन् आदि के साथ इसका युध हुआ था । अन्त में भीम ने इसका वध किया
[म.द्रो.१३२.१५] । महाभारत में इसका नाम बाह्रीक, बहिलक, तथा बाह्रिक इन तीन प्रकारों में उपलब्ध है ।
बाह्रीक II. n. बाह्रीक देश में रहनेवाले लोगों के लिये प्रयुक्त सामुहिक नाम बाहीक देखिये;
[म.भी.१०.४५] ।
बाह्रीक III. n. (सो. पूरु.) एक राजा, जो भरतवंशीय कुरु राजा का पौत्र, एवं जनमेजय का तृतीय पुत्र था ।
बाह्रीक IV. n. एक राजा, जो शत्रुपक्षविनाशक महातेजस्वी ‘अहर’ के अंश से उत्पन्न हुआ था
[म.आ.६१.२५] ।
बाह्रीक V. n. कौरव पक्ष क एक योद्धा, जो क्रोधवश नामक दैत्य के अंश से उत्पन्न हुआ था
[म.आ.६१.५५] । महाभारत में इसे ‘बाह्रीकराज’ कहा गया है । द्रौपदीपुत्रों के साथ इसका युद्ध हुआ था
[म.द्रो.७१.१२] ।
बाह्रीक VI. n. युधिष्ठिर के सारथि का नाम
[म.स.५२.२०] बाह्रीक VII. n. (किलकिला. भविष्य) किलकिलावंशीय एक राजा ।