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गाधि

   { gādhiḥ, gādhi }
Script: Devanagari

गाधि     

Puranic Encyclopaedia  | English  English
GĀDHI I   Father of Viśvāmitra.
1) Genealogy.
Descended from Viṣṇu thus: Brahmā- Atri-Candra-Budha-Purūravas-Āyus-Nahuṣa-Yayāti Pūru- Janamejaya-Prācinvān-Pravīra-Namasyu- Vītabhaya-Śuṇḍu-Bahuvidha-Saṁyāti-Rahovādi- Raudrāśva- Matināra-Santurodha-Duṣyanta-Bharata (Vitatha)- Suhotra-Bṛhatputra- Ajamīḍha-Jahnu- Balākāśva-Kuśika (Kuśa)-Gādhi.
2) Birth.
Kuśa had by his wife Vaidarbhī four sons called Kuśāmba, Kuśanābha, Asūrtarajas and Vasu. Of the four sons Kuśāmba built a city called Kauśāmbī, Kuśanābha built the city of Mahodayapura, Asūrtarajas the city of Dharmāraṇya and Vasu the city of Girivraja, and they administered their respective cities. Kuśanābha had hundred daughters by his wife Ghṛtācī, an Apsarā woman. He felt very sad that he had no sons. At last he performed the Putrakāmeṣṭi yajña, and Gādhi was born to him.
3) Gādhi's children.
A son named Viśvāmitra and a daughter called Satyavatī were born to Gādhi. Satyavatī was married to sage Ṛcīka. After the wedding of his daughter Gādhi crowned Viśvāmitra as the king and left for the forest for tapas. During his stay in the forest Gādhi was put up in the āśrama of Ṛcīka for a long time and he also went on many pilgrimages. [Śānti Parva, Chapter 49] . (See also Satyavatī and Viśvāmitra.
4) Death.
Gādhi entered mahāsamādhi and went to heaven. [Śalya Parva, Chapter 16] .
GĀDHI II   A brahmin who showed Viṣṇu's power of māyā. (See under Māyā).

गाधि     

हिन्दी (hindi) WN | Hindi  Hindi
noun  विश्वामित्र के पिता   Ex. गाधि एक राजा थे ।
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
Wordnet:
benগাধি
gujગાધિ
kasگادی
kokगाधि
malഗാധി
marगाधि
oriଗାଧି
panਗਾਧਿ
sanगाधिः
urdگادھی

गाधि     

गाधि n.  (सो.अमा.) वायुमतनुसार कुशाश्वपुत्र, भागवत तथा विष्णु मताअनुसार कुशांबुपुत्र । इसेही कौशिक कहते है । यह कान्यकुब्ज देश का अधिपति था । इसकी माता पुरुकुत्स की कन्या थी । इसे सत्यवती नामक कन्या थी । उसे ऋचीक ऋषि ने इससे मॉंगा । तब इसने उससे एक हजार श्यामकर्म घोडे ले कर, सत्यवती उसे दी । ऋचीक ऋषि ने दिय चरु के प्रभाव से, इसे विश्वामित्र नामक पुत्र हुआ ऋ.चीक देखिये;[म.आ.१६५] ;[व. ११५] ;[म. शां ४९] ;[म. अनु. ७. कुं] ;[भा. ९.,१५.४,१६.२८] ;[ह.वं. १.२७]
गाधि II. n.  कोसल देश में रहनेवाला एक ब्राह्मण । यह श्रोत्रिय एवं बुद्धिमान् था । यह बचपन से ही विरक्त था । कुछ इष्टकार्य की सिद्धि के लिये, यह भाईयों को छोड कर तपस्या करने के लिये अरण्य में एक सरोवर के किनारे गया । विष्णुदर्शन होने तक पानी में तप करने का इसने निश्चय किया । दर्शन दे कर विष्णु ने इसे वर मॉंगने का कहा । इसने विष्णु से भ्रामक संसारमाया दिखलाने की प्रार्थना की । एक दिन स्नान करते समय, दर्भ हाथ में ले कर पानी मथना इसने प्रारंभ किया। तब इसे ऐसा दृश्य दिखा कि, जोरों का तूफान आने के कारण, एकादे वृक्ष के समान उसका शरीर नीचे गिर गया है । स्वजन रो रहे हैं, तथा शुष्क शरीर चिता में डाल कर जला डाला गया है । बाद में भूतमंडल देश की सीमा पर, एक ग्राम में, एक चांडाल स्त्री के उदर में गर्भवास की नरकयातना भोगते हुए इसने अपने को देखा । बाद में क्रमशः बढते बढते, यह विषयलोलुप बन गया । इसने चांडालकन्या से विवाह किया । वहॉं इसे संतति प्राप्त हो कर, यह वृद्ध हुआ । तदनंतर यह अरण्य में वास करने लगा । कुछ कालोपरांत, घर के लोगों की मृत्यु होना प्रारंभ हुआ । यह भ्रमिष्ट के समान वन में घूमने लगा । घूमते-घूमते यह कीर लोगों की राजधानी में आया । वहॉं के राजा की मृत्यु हो गई थी । हाथी ने इस चांडाल को सूँड से पकड कर गंडस्थल पर बैठाया । इसलिये लोगों ने इसे राजा बनाया । इस प्रकार गवल नाम से इसने आठ वर्षो तक कीर देश का राज्य चलाया । बाद में, नागरिकों को ज्ञान हुआ कि, अपना राजा चांडाल है । उन्हों ने अग्निप्रवेश किया । उनके दुख से, यह स्वयं भी अग्निप्रवेश करने को सिद्ध हो गया, तथा अग्निराशि पर गिर गया । इसके अवयव जलने लगे । इसी समय, सरोवर के जल में अघमर्षण करनेवाला गाधि ब्राह्मण, इस दीर्घस्वप्न से जागृत हुआ । चार घटिकाओं के बाद, इसका भवभ्रम नष्ट हुआ । स्वप्न की सब घटनाओं का स्मरण कर, ये विचार करने लगा । तदनंतर गाधि ने देढ साल तक तपस्या की । तब इसे दर्शन दे कर विष्णु ने बताया कि, तुमने देखी हुई सब घटनायें माया है । विष्णुवचन की सत्यासत्यता अजमाने के लिये, यह पुनः कीर देश में गया । विष्णुद्वारा इसका मोह निरसने होने के पश्चात्, यह जीवन्मुक्त हुआ [यो.वा.५.४४.४९]

गाधि     

कोंकणी (Konkani) WN | Konkani  Konkani
noun  विश्वामित्राचो बापूय   Ex. गाधि एक राजा आशिल्लो
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
Wordnet:
benগাধি
gujગાધિ
hinगाधि
kasگادی
malഗാധി
marगाधि
oriଗାଧି
panਗਾਧਿ
sanगाधिः
urdگادھی

गाधि     

मराठी (Marathi) WN | Marathi  Marathi
noun  विश्वामित्रचे पिता   Ex. गाधि हे एक राजा होते.
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
Wordnet:
benগাধি
gujગાધિ
hinगाधि
kasگادی
kokगाधि
malഗാധി
oriଗାଧି
panਗਾਧਿ
sanगाधिः
urdگادھی

गाधि     

A Sanskrit English Dictionary | Sanskrit  English
गाधि  m. am. for °धिन्, [MBh. iii, ix, xii f.] ; [Hariv.] ; [Pāṇ. 4-1, 104] ; [Pat.] ; [R.] ; [BhP.]
गाधि  m. m. pl. the descendants of गाधि, ix, 16, 32.
गाधि   b°धिन्, °धेय See 3.गा.

गाधि     

गाधिः [gādhiḥ] गाधिन् [gādhin]   गाधिन् m. [गाध्-इन्] N. of the father of Viśvā mitra. (He is supposed to have been an incarnation of Indra and born as the son of king Kauśāmba.)-Comp.
-जः, -नन्दनः, -पुत्रः   an epithet of Viśvāmitra.-नगरम्,
-पुरम्   an epithet of Kānyakubja, the modern Kanoja.

गाधि     

Shabda-Sagara | Sanskrit  English
गाधि  m.  (-धिः) The name of a king sovereign of Kanyakubja, father of ViSWAMITRA.

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