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कक्षीवत्

   { kakṣīvat }
Script: Devanagari

कक्षीवत्     

कक्षीवत् n.  यह दीर्घतमस् का पुत्र । इसकी माता का नाम उशिज् । इसे औशिज कहा गया है [ऋ. १.१८.१] ; दीर्घतमस् देखिये । इसकी पत्नी का नाम वृचया ऋ.१.५१.१३ । स्वनय भावयव्य ने इसे देन दी थी [ऋ.१.१२५, १२६] ;[सां. श्रौ. १६.४.५] । आयवस तथा मशशीर के तीन पुत्रों ने कक्षीवत् को कष्ट दिये थे । यह पज्रकुल का था इसलिये अपने को पज्रिय कहलाता है [ऋ.१.११६.७, ११७.६] इसे पज्र भी कहा है [ऋ.१.१२६.४] ;[पं. ब्रा. १४.११.१६] । विवाह के समय इसकी उम्र काफी होगी [ऋ.१.५१.१३] । यह काफी वृद्ध रहा होगा [ऋ. ९.७४.८] । ऋग्वेद में भी यह पुरातन माना जाता था [ऋ. १.१८.१,४.२६.१] । दीर्घतमस् तथा कक्षीवत् का ऋग्वेद की एक ऋचा में एक साथ उल्लेख है [ऋ. ८.९.१०] । यह क्षत्रिय था परंतु तप से ब्राह्मण तथा ऋषि हुआ था [वायु. ९१.१०००,११४] । इसे घोषा नामक एक कन्या थी । सूक्त से अश्वियों को प्रसन्न कर के इसने उत्तम लोक प्राप्त किया था [ऋ. १.१२०] ;[ऐ. ब्रा.१.२१] ;[जै. ब्रा.१.६.११] । यह सूक्तद्रष्टा है [ऋ. १.११६-१२५.१-५, ९.७४] । विद्याध्ययन करने के बाद यह वापस जा रहा था, राह में स्वनय भावयव्य से इसकी मुलाकात हुई । अंगिरस कुल का औचथ्य दीर्घतमस् का यह पुत्र है, ऐसा मालूम होते ही, उसने इसे अपनी दस कन्यायें तथा बहुत संपत्ति दी । तब इसने उसकी प्रशंसा की [बृहद्दे.३.१४१-१५०] । काक्षीवत औशिज या कक्षीवत् नाम आगे दिये गये ग्रंथों में भी हैं [म.स.४.१५, ७.१६] ;[अनु.२७१.३७ कुं.] । अंगिरसकुल के मंत्रकारों में इसका नाम है (दीर्घतमस् देखिये) ।
कक्षीवत् II. n.  भीष्म से मिलने आया हुआ ऋषि [भा.१.९]

कक्षीवत्     

A Sanskrit English Dictionary | Sanskrit  English
कक्षीवत्  m. m. (for कक्ष्या-वत्, [Kāś.] on [Pāṇ. 8-2, 12] ), N. of a renowned ऋषि (sometimes called पज्रिय; he is the author of several hymns of the ऋग्-वेद, and is fabled as a son of उशिज् and दीर्घ-तमस्), [RV.] ; [AV.] ; [ŚāṅkhŚr.] &c.
अन्तस्  m. m. pl. () the descendants of कक्षीवत्, [RV. i, 126, 4.]

कक्षीवत्     

कक्षीवत् [kakṣīvat]  m. m. [कक्ष्या-मत् Mbh. on [P.VI.1.37] ] N. of a renowned Ṛiṣi, sometimes called Pajriya; author of several hymns of the Ṛigveda; कक्षीवन्तं य औशिजः [Rv.1.18.1]

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