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पज्रिय , पज्र्‍य

   
Script: Devanagari

पज्रिय , पज्र्‍य     

पज्रिय , पज्र्‍य n.  ‘कक्षीवत् दीर्घतमस् औशिज’ ऋषि का पैतृक नाम [ऋ. १.११६,११७.१०,१२२.७८] । इसके सूक्त में उत्तर पांचाल देश का राजा दिवोदास का निर्देश प्राप्त है [ऋ.१.११६.१८] । यह ऋषि भरत राजा के समकालीन, कक्षीवत् ऋषि से अलग एवं पश्चात्कालीन था, ऐसा पार्गिटर का कहना है [पार्गि.२२३]

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