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अनंतपारं किल शब्दशास्त्रं

   
Script: Devanagari

अनंतपारं किल शब्दशास्त्रं

   शब्दांचें शास्त्र फार अफाट आहे. त्याला मर्यादाच नाहीं. शब्दसंख्या अगणित असते. ‘ अनंतपारं किल शब्दशास्त्रं स्वल्पं तथायुर्बहवश्च विघ्नाः । सारं ततो ग्राह्यमपास्य फल्गु हंसो यथा क्षीरमिवाम्बुमध्यात्‍ ॥ पंचतत्रं - कथामुख.

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अनंतपारं किल शब्दशास्त्रं   किल   सहजं किल यद्विनिंदितम् न खलु तत्कर्म विर्वजनीयम्   kg   kilo   kilogram   आयुष्य किंचित्, विद्या असे बहूत   शास्त्राला अंत नाहीं आणि मनुष्याला आयुष्य पुरत नाहीं   grammar   philology   ondit   तर्किण   सुजूष्   forsooth   अनंत   haply   आन्ध्यम्   केलिकल   assuredly   belike   चतुःसप्ततिः   किरू   indeed   perchance   थार अजन   probably   स्वादुष्किलीया   इत्किला   किलिञ्जक   विपण्   वैधव   अस्त्रिन्   दाहो   पारिया   certainly   संकेत   perhaps   नप्तृ   दौर्हृदम्   possibly   से खावसे   उदर्चिस्   ऐन्द्रि   औपनीविक   कोतल   किलकिञ्चित   केलिकिल   सरहस्य   संभृत   संविधानम्   अजय्य   असूर्यंपश्य   आई देवळांत व नायटे गांवांत   आख्येय   अपकीर्तीनें वांचणें याहून बरें मरणें   जासुला   मगन   फिथाइ   न भीतो मरणादस्मि केवल्म दूषितं यशः।   किलकिला   सत्यम्   अदूर   यमिन्   आम्ना   उत्ताप   किर   वरूथिन्   अनपत्य   अभिसंधि   probable   कनकम्   कपालिन्   शङ्खिनी   आक्रम   ज्यायस्   ब्रह्मण्य   युवति   दृप्   पण्   किं   कितव   असृज्   अभिमत   अवसानम्   चन्दन   योगिन्   पारण   साहसिक   स्वैर   do   क्षत   वितॄ   सम्भू   मूर्धन्   कठोर   कृत्य   कृष्   वान   अरण्यम्   अवन्ति   
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