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बकासुर
Meanings: 9; in Dictionaries: 5
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कीर्तन आख्यान - बकासुराख्यान
कीर्तनकारांना नित्य उपयोगी अशी आख्याने. विष्णुदासांनी याला ’कीर्तन-मुक्ताहार’ असे नाव दिले होते.
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بَکاسُر
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బకాసురుడు
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ಬಕಾಸುರ
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ബകാസുരന്
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বকাসুর
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ବକାସୁର
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બકાસુર
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ਬਕਾਸੁਰ
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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बकासुरः
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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बकासूर
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பகாசுரன்
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वकासुर
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अलंबुस
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वक
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किर्मीर
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पद - हा गांव नाहीं ग भला
श्रीमज्जगज्जननी, त्रिभुवनसुंदरी श्रीरेणुकामाऊलीचे अत्यंत लाडके पुत्र श्रीमत्परमहंस श्रीसद्गुरू पुरूषोत्तमानंद सरस्वति उर्फ श्रीविष्णुकवि महाराज यांच्या कवितांचा हा अनमोल ठेवा.
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ठाकुर प्रसाद - दशम स्कन्ध (पूर्वार्ध)
ठाकुर प्रसाद म्हणजे समाजाला केलेला उपदेश.
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गीत महाभारत - ब्राह्मणाचा निश्चय
महर्षी व्यासांनी लिहिलेले महाभारत हे मानवी जीवनाच्या सर्व अंगांना स्पर्श करणारे व ज्ञानाने ओतप्रोत भरलेले असे महाकाव्य आहे.
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अध्याय ४३ वा - श्लोक २६ ते ३०
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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अध्याय १४ वा - श्लोक २
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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श्री कृष्ण चालीसा - बंशी शोभित कर मधुर, नील ज...
चालीसा, देवी देवतांची काव्यात्मक स्तुती असून, भक्ताच्या आयुष्यातील सर्व संकटे दूर होण्यासाठी मदतीची याचना केली जाते.
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श्रीभानुदासांचे अभंग - मांभळभट
श्रीसंतएकनाथ महाराजांची गाथा म्हणजे श्री कृष्णाच्या अवताराचे मनोवेधक वर्णन.
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बक
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श्रीकृष्णाचीं पदें - पदे १२१ ते १३२
मध्वमुनीश्वरांची कविता
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अध्याय ११ वा - श्लोक ४१ ते ५०
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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रुक्मिणी स्वयंवर - प्रसंग दुसरा
रुक्मिणी स्वयंवर या ग्रंथाचे पारायण केल्याने विवाह लवकर होण्यास मदत होते आणि सुस्वरूप, अनुरूप पती मिळतो असा अनेकांचा अनुभव आहे म्हणून शक्यतो कुमारिकांनी या ग्रंथाचे पारायण करावे.
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हरिवरदा - अनुक्रमणिका
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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अघ
Meanings: 52; in Dictionaries: 9
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अध्याय ३ रा - श्लोक २९ ते ३१
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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अध्याय ४६ वा - श्लोक २६ ते ३०
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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अध्याय ५२ वा - श्लोक २६ ते ३०
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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हरिविजय - अध्याय १४
श्रीधरांसारखा भगवंताच्या भक्तिप्रेमात न्हाऊन गेलेला अजोड कवी, गोपालकृष्णाच्या अति गोड लीलांचे वर्णन करतो, तेव्हा काय बहार येते.
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यशोदा
हिंदू धर्मातील पुराणे अतिप्राचीन असून त्यातील कथा उच्च संस्कृतीच्या प्रतिक आहेत.
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पांडवप्रताप - अध्याय १९ वा
पांडवप्रताप ग्रंथवाचन म्हणजे चंचल मनाला भक्तियोगाकडे वळविण्याचा प्रवास.
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हरिविजय - अध्याय ३५
श्रीधरांसारखा भगवंताच्या भक्तिप्रेमात न्हाऊन गेलेला अजोड कवी, गोपालकृष्णाच्या अति गोड लीलांचे वर्णन करतो, तेव्हा काय बहार येते.
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कथाकल्पतरू - स्तबक ७ - अध्याय १९
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
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अध्याय ९० वा - श्लोक ४६ ते ५०
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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श्री नवनाथ भक्तिसार - अध्याय ३३
श्रीनवनाथ भक्तिसार पोथीचे पारायण केल्याने घरातील अनिष्ट बाधा दूर होते.
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हरिविजय - अध्याय २२
श्रीधरांसारखा भगवंताच्या भक्तिप्रेमात न्हाऊन गेलेला अजोड कवी, गोपालकृष्णाच्या अति गोड लीलांचे वर्णन करतो, तेव्हा काय बहार येते.
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श्रीसिध्दान्तबोध - अध्याय २९ वा
‘श्रीसिध्दान्तबोध’ हा संतकवि श्रीशहामुनि यांचा ग्रंथ म्हणजे मराठी साहित्याच्या खाणींतील एक तेजस्वी हिरा आहे.
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पांडवप्रताप - अध्याय २८ वा
पांडवप्रताप ग्रंथवाचन म्हणजे चंचल मनाला भक्तियोगाकडे वळविण्याचा प्रवास.
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कथाकल्पतरू - स्तबक ४ - अध्याय ३
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
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पांडवप्रताप - अध्याय २३ वा
पांडवप्रताप ग्रंथवाचन म्हणजे चंचल मनाला भक्तियोगाकडे वळविण्याचा प्रवास.
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भीमसेन
Meanings: 68; in Dictionaries: 7
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कृष्ण
Meanings: 236; in Dictionaries: 15
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