अभिलाषा - बसो मेरे नैननमें नन्दल...

’अभिलाषा’के अंतर्गत भगवत्प्रेमी संतोंकी सुमधुर कल्याणमयी कामनाओंका दिग्दर्शन करानेवाले पदोंकी छटा भाव-दृष्टिके सामने आती है ।


बसो मेरे नैननमें नन्दलाल ॥

मोहनी मूरति साँवरि सूरति,नैंणा बने बिसाल ।

अधर-सुधारस मुरली राजत, उर बैजन्ती माल ॥१॥

छुद्र घंटिका कटि तट सोभित, नूपुर सबद रसाल ।

’मीरा’ प्रभु संतन सुखदाई, भगत बछल गोपाल ॥२॥

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Last Updated : January 22, 2014

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