हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|भजनामृत|अभिलाषा| बसो मेरे नैननि में यह जोर... अभिलाषा कन्हैया कन्हैया पुकारा ... चालो चालो सखी दर्शन क... मोहन हमारे मधुवन में ... मुझे है काम ईश्वरसे ज... आज मोहिं लागे वृन्दावन... इतना तो करना स्वामी !... थे तो आरोगोजी मदनगोपाल... थे तो आरोगोजी दीनदयाल ... बसो मेरे नैननि में यह जोर... बसो मेरे नैननमें नन्दल... आओ नन्द -नन्दना , आओ मन... राणोजी रुठे तो म्हारो ... और आसरो छोड़ , आसरो ले ... नरसीलो टेर लगावे जी , ... अभिलाषा - बसो मेरे नैननि में यह जोर... ’अभिलाषा’के अंतर्गत भगवत्प्रेमी संतोंकी सुमधुर कल्याणमयी कामनाओंका दिग्दर्शन करानेवाले पदोंकी छटा भाव-दृष्टिके सामने आती है । Tags : bhajankirtanअभिलाषाकीर्तनभजनहिंदी अभिलाषा Translation - भाषांतर बसो मेरे नैननि में यह जोरी । सुन्दर स्याम कमल-दल-लोचन,सँग बृषभानु-किसोरी ॥१॥ मोर-मुकुट मकराकृत कुण्डल, पीताम्बर झक-झोरी । ’सूरदास’ प्रभु तुम्हरे दरसकों, का बरनौं मति थोरी ॥२॥ N/A References : N/A Last Updated : January 22, 2014 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP