अभिलाषा - थे तो आरोगोजी मदनगोपाल...

’अभिलाषा’के अंतर्गत भगवत्प्रेमी संतोंकी सुमधुर कल्याणमयी कामनाओंका दिग्दर्शन करानेवाले पदोंकी छटा भाव-दृष्टिके सामने आती है ।


थे तो आरोगोजी मदनगोपाल !, कटोरो ल्याई दूधरो भर् यो ॥टेर॥

दूधाजी म्हाने दई भोलावण, जद मैं आई चाल ।

धोली-धेनुको दूध गरम कर, ल्याई मिसरी घाल ।

क्याने रुठ गया मेड़तिया-भगवान् ? कटोरो ॥१॥

किस विध रुठ गया छोगाला, कारण कहो महाराज !

दूध-कटोरो धर् यो सामने,पीवणरी काँई लाज ।

भूखा मरतारा चिप जासी थारा गाल, कटोरो ॥२॥

श्याम-सलोना दूध आरोगो, साँची बात सुनाऊँ ।

बिना पियाँ यो दूध-कटोरो,पाछी-परत न जाऊँ ।

देस्यूँ साँवरिया चरणामें देही त्याग; कटोरो ॥३॥

डरिया श्याम करुणा सुण प्रभु जी,लियो कटोरो हाथ ।

गट-गट दूध पिवणने लाग्या, चार भुजाँरा नाथ ।

बालो राखे हैं भगताँरी जाती लाज; कटोरो ॥४॥

हरष चली मीरा महलाँमे, खाली कटोरो लेय ।

दूध प्याय; दादा-दूधाजीने दियो कटोरो देय ।

खाली देखत कटोरौ राव रिसाय; कटोरो ॥५॥

अब मीराँ पर आफत आई, साँची झूठी केवे ।

साँपरत दूध पियो छोगालो कौन गवाही देवे ?

थाँने निजर् याँसूँ दिखाऊँ चालो साथ; कटोरो ॥६॥

सज्यो कटोरो दूध सकल मिल, ले मीराँने सागे ।

साराँ देखत दूध-कटोरो धर् यो प्रभुजी आगे ।

मीराँ ऊभी-ऊभी करै अरदास; कटोरो ॥७॥

दया करो दीनोंके स्वामी ! अब पत राखो मेरी।

काल कटोरो झटके पी गया, क्यूँ कर रह्या देरी ?

काँई शरमाया मीराँरा सरजनहार ! कटोरो ॥८॥

सुणी प्रेमकी टेर प्रभूजी, मँद-मन्द मुसकाय ।

मीरा दासी जाण प्रभूजी च्यारुँ हाथ बढ़ाय ।

पी गया मीराँसे कटोरो हाथ उठाय; कटोरो ॥९॥

मीराँ नृत्य करे प्रभु आगे, हरष्यो सारो साथ ।

भक्तोंके बसमें, गिरिधारी, च्यार भुजाँरा नाथ ।

प्यारा लागोजी मीराराँ भगवान् !; कटोरो ॥१०॥

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Last Updated : January 22, 2014

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