चैत्री पूर्णिमा ( पुराणसमुच्चय ) -
प्रत्येक मासकी पूर्णिमाको पूर्ण चनद्रमाका और तत्प्रकाशक सूर्यका तथा विष्णुरुप सत्यनारायाणका व्रत किया जाता है । यह पूर्णिमा चद्रोदयव्यापिनी ली जाती है । इसमे देवपूजन दान - पुण्य, तीर्थ - स्त्रान पुरण- श्रवणादि करनेसे पूर्ण फल मिलता है ।
यदि इस दिन चित्रा हो तो विचित्र वस्त्रोंका दान करनेसे सौभाग्यकी वृद्धि होती है ।