पञ्चरात्र ( भविष्यपुराण ) -
ये व्रत नवरात्रोंके अन्तर्गत किये जाते हैं । विशेषता यह है कि इनमें पञ्चमीको एकभुक्त व्रत करे, षष्ठीको नक्तव्रत रखे, सप्तमीको अयाचित भोजन करे, अष्टमीको अन्नवर्जित उपवास रखे और नवमीको पारण करे तो इससे देवीकी प्रसन्नता बढ़ती है ।