चैत्र शुक्लपक्ष व्रत - अशोककलिकाप्राशनव्रत

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


अशोककलिकाप्राशनव्रत ( कृत्यरत्नावली, कूर्मपुराण ) -
यह चैत्र शुक्ल अष्टमीको किया जाता है । उस दिन प्रातःस्त्रानादि करनेके अनन्तर अशोक ( आशापाला ) के वृक्षका पूजन करके उसके पुष्प अथवा कोमल पत्तोंकी आठ कलिकाएँ लेकर उनसे शिवजीका पूजन करे और ' त्वामशोक नमाम्येनं मधुमाससमुदभवम् । शोकार्तः कलिकां प्राश्य मामशोकं सदा कुरु ॥ ' से आठ कलिकाएँ भक्षण करके व्रत करे तो वह शोकरहित रहता है । यदि उस दिन बुधवार हो या पुनर्वसु हो य दोनों हों तो व्रतीको किसी प्रकारका शोक नहीं होता ।

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Last Updated : January 16, 2009

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