शुक्लैकादशी ( नानापुराणस्मृति ) -
इसको चैत्र शुक्ल एकादशीके दिन पूर्वोक्त प्रकारसे करना चाहिये । व्रतले पहले दिन ( दशमीके मध्याह्नमें ) जौ, गेहूँ और मूँग आदिका एक बार भोजन करके भगवानका स्मरण करे । दूसरे दिन ( एकादशीको ) प्रातःस्त्रानादि करके ' ममाखिपापक्षयपूर्वकपरमेश्वरप्रीतिकामनया कामदैकादशीव्रतं करिष्ये ' यह संकल्प करके रात्रिके समय भगवानको दोलारुढ करे और उनके सम्मुख जागरण करे । फिर दूसरे दिन पारण करे तो सब प्रकारके पाप दूर होते हैं । ......इसका कथासार यह है कि प्राचीन कालमें सुवर्ण और रत्नोंसे सुशोभित भोगिपुर नगरके पुण्डरीक राजाके ललित और ललिता नामके गन्धर्व - गन्धर्विणी गायन - विद्यामें बड़े प्रवीण थे । एक दिन राजाके बुलानेपर ललिता कार्यवश नहीं आया, तब राजाने उसको राक्षस बना दिया । इसपर ललिता बहुत दुःखे हुई और ऋष्युश्रृङ्गकी आज्ञासे उसने कामदाका व्रत करके पतिको पूर्वरुपमें प्राप्त किया ।