हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|मंजुकेशीजी| जन हित राम धरत शरीर ॥ भ... मंजुकेशीजी आपन रूप परखिये आपै ॥ नि... जो चौदह रसको पहिचानै । स... निर्मल मानसिक आवास ॥ मल... चंचल मनको बस करिय कसस ॥ ... राम -रहसके ते अधिकारी । ... अनुभवकी बात कोउ कोउ जानै ... संयम साँचो वाको कहिये ॥ ... चेतहु चेतन बीर सबेरे ॥ इ... दर्शक दीप -दर्शन दूर ॥ ... शांति एक आधार , सन्मुख ॥... खेलत रामपूतरि माहिं । छा... बारे जोगिया , कवन बिपिन म... आश्रम सुखद सुसंयम पाये ॥... कामदगिरि ढिग डेरा कीजै ॥... गजरिपु ब्रत सराहनयोग । ह... भुवन -बिच एकै दीप जरै । ... देखेउ जो नीचे , हो रामा ,... चार जुगनू झलाझल झमकै ॥ ... बामन बलिको छलिगे मीत । क... धरतीमें पानी बास करै । छ... चौरासी मठके मठधारी । भोग... मधुमाखी जरै नहिं दीपकपै ।... सदय ह्रदयकी सरस कहानी । ... भाव -भोगी हमारे नैना ॥ ... रामधनीसे हेत नहीं जो । उ... छिन -सुख लागि मानुष मरै ... निर्मल मनको एक स्वभाव ॥ ... जो मानै मेरी हित सिखवन ॥... भजन करिय निष्काम , हमारे ... जागहु पंथी भयउ बिहाना ॥ ... मानहु प्यारे , मोर सिखावन... बिषयरस पान -पीक -सम त्याग... धाय धरो हरि चरण सबेरे ॥ ... भावत रामहिं संयम इकरस ॥ ... भावुक , भावमय भगवान । ता... कलि -प्रपंच -प्रसार , देख... रे मन , देश आपन कौन ? जह... मारे रहो , मन ॥ राम -भज... चतुर कहात सुंदर ॥ करिबो... जन हित राम धरत शरीर ॥ भ... कब हरि सुमिरनमें रस पैये ... रामलगन माते जे रहते ॥ त... हम न जाबैं कनक -गिरि -खोह... सुख सजनी मिलै नहिं अग... गोसाईं मत , सुजन सगा सोइ ... धावत राम बकैयाँ , हो रामा... बन बिहरैं हमारे धनुषवारे ... ' राम गरीब- निवाज' गुसाई... आँगनमें खेलत रघुराई । धू... बाजी बँसुरिया हो रामा कि ... भजन - जन हित राम धरत शरीर ॥ भ... हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है। Tags : bhajanmanjukeshijiभजनमंजुकेशीजी भजन Translation - भाषांतर जन हित राम धरत शरीर ॥ भक्तवर प्रह्लादहित नरहरि भये रघुबीर । द्रौपदी पत राखिबेको बनि गये प्रभु चीर ॥ सकल भ्रम तजि भजिय रघुबर शांत-दांत-गभीर । भक्तके हित धरे 'केशी' करकमल धनु-तीर ॥ N/A References : N/A Last Updated : December 23, 2007 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP