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दर्शक दीप -दर्शन दूर ॥ ...

भजन - दर्शक दीप -दर्शन दूर ॥ ...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


दर्शक दीप-दर्शन दूर ॥

शून्य विपिन बिचित्र मंदिर ज्योति रह भरपूर ।

झुंड-झुंड चलीं नवेली मग उड़ावति धूर ॥

करि प्रवेश सुद्धार चारिहु गई जहँ प्रिय सूर ।

लव निरखि पाँखी-सरिस सब भईं चकनाचूर ॥

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Last Updated : December 23, 2007

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