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भावत रामहिं संयम इकरस ॥ ...

भजन - भावत रामहिं संयम इकरस ॥ ...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


भावत रामहिं संयम इकरस ॥

भक्त भावना दृढ़ होवै तब, जब अर्पिय रघुपतिपर सरबस ।

शील निधान सुजान शिरोमणि परम स्वतंत्र दास-सेवा बस ॥

जो नहिं प्रेमवारि मन धोवै, सो सोवै सुख सहित कहहु कस ।

'केशी' पाँच तत्त्व तीनों गुन, जो नाशै सोई पावै जस ॥

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Last Updated : December 23, 2007

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