हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|मंजुकेशीजी|
धावत राम बकैयाँ , हो रामा...

भजन - धावत राम बकैयाँ , हो रामा...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


धावत राम बकैयाँ, हो रामा, धूरि भरे तन ।

कौर लिये कर पाछे डोलति श्री कौसल्या मैया ॥

लै कनियाँ झारत आँचरसों धूसर धूर-धुरैया ।

'केशी' योगी ठाढ़ असीसत कुँवर जियाव गुसैंया ॥

N/A

References : N/A
Last Updated : December 23, 2007

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP