फाल्गुन शुक्लपक्ष व्रत - अशोकव्रत

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


अशोकव्रत

( विष्णुधर्मोत्तर ) - फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमाको मृत्तिका मिले हुए जलसे स्त्रान करे, मस्तकमें भी मृत्तिकाका मर्दन करे और मृत्तिकाका भक्षण भी करे । तत्पश्चात् शुद्ध भूमिमें वेदी बनाकर उसपर ' भूधर ' नामके देवताकी कल्पना करके

' भूधराय नमः '

इस नाम - मन्त्नसे उसका पूजन करे और

' धरणीं च तथा देवीमशोकेति च कीर्तयेत् । यथा विशोकां धरणि कृतवांस्वां जनार्दनः ॥'

इस मन्त्नसे प्रार्थना करे । इस व्रतके करनेसे सब शोक निर्मूल हो जाते हैं और दस पीढ़ियोंतक सब सुखी रहते हैं ।

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Last Updated : January 02, 2002

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