अशोकव्रत
( विष्णुधर्मोत्तर ) - फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमाको मृत्तिका मिले हुए जलसे स्त्रान करे, मस्तकमें भी मृत्तिकाका मर्दन करे और मृत्तिकाका भक्षण भी करे । तत्पश्चात् शुद्ध भूमिमें वेदी बनाकर उसपर ' भूधर ' नामके देवताकी कल्पना करके
' भूधराय नमः '
इस नाम - मन्त्नसे उसका पूजन करे और
' धरणीं च तथा देवीमशोकेति च कीर्तयेत् । यथा विशोकां धरणि कृतवांस्वां जनार्दनः ॥'
इस मन्त्नसे प्रार्थना करे । इस व्रतके करनेसे सब शोक निर्मूल हो जाते हैं और दस पीढ़ियोंतक सब सुखी रहते हैं ।