कामदा सप्तमी
( भविष्यपुराण ) - फाल्गुन शुक्ल सप्तमीको स्त्री या पुरुष जो भी हो, ' सूर्याय नमः ' इस मन्त्नसे ' तमोऽपह ' ( सूर्य ) का गन्धादिसे पूजन करके उठते - बैठते, सोते - जागते, सर्वत्र ही सूर्यका स्मरण करता रहे और फिर अष्टमीको स्त्रान करके सूर्यका यथोक्त विधिसे पूजनकर ब्राह्मणको दक्षिणा दे । सूर्यके उद्देश्यसे हवनकर भगवानको नमस्कार करे । नैवेद्यमें कसार ( घीमें सेके हुए शर्करासंयुक्त खुले हुए आटे ) का भोग लगाये । सात घोड़ोंका पूजन करे और पूजन - सामग्री ब्राह्मणको दे । इस प्रकार प्रतिमास करनेसे अपुत्रको पुत्र, निर्धनको धन, रोगीको आरोग्य और निराश्रयको पदप्राप्ति आदि सब कुछ होते हैं ।