आदिखंड - रजोत्पन्न
सत्कार्योत्तेजक सभा धुळें, महाराष्ट्रधर्मग्रन्थमाला
अंगीकरुनि क्रिया देवता । आधिष्ठोनि महाभूता । पंधरा तत्वें जनितां । राजसु होयें ॥४२॥
प्रथम प्राण पंचक उत्पन्न । ते प्राणा. पान उदान समान व्यान । श्रोत्रत्वचा चक्षु जिव्हा घ्राण । ज्ञानपंचक हें ॥४३॥
वाचा पाणि शिश्न गुद । हें कर्म पंचक प्रसिध्द । अनुक्रमें भूत भेद ।वोळखावें ॥४४॥
इति रजोत्पन्न ॥
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Last Updated : March 07, 2018
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