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अग्निहोत्र
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اگنہهوتر
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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ಅಗ್ನಿಹೋತ್ರ
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अग्निहोत्रदेवता
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अग्निहोत्रत्व
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अग्निहोत्रहुत्
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अग्निहोत्रहोम
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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अग्निहोत्रोच्छिष्ट
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अग्निहोत्रोच्छेषण
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अग्निहोत्रस्थाली
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अग्निहोत्रहवनी
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आग्निहोत्रिक
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
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मानाग्निहोत्र
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अग्निहोत्रायणिन्
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अग्निहोत्राहुति
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अग्निहोत्रेष्टि
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अग्न्युपस्थान
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धाराग्नि
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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अग्निहोत्रावृत्
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अग्निहोत्रिन्
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अग्निहोत्री
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अन्वाधान
Meanings: 6; in Dictionaries: 3
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धर्मसिंधु - परिवेत्ता निर्णय
हिंदूंचे ऐहिक, धार्मिक, नैतिक अशा विषयात नियंत्रण करावे आणि त्यांना इह-परलोकी सुखाची प्राप्ती व्हावी ह्याच अत्यंत उदात्त हेतूने प्रेरित होउन श्री. काशीनाथशास्त्री उपाध्याय यांनी ’धर्मसिंधु’ हा ग्रंथ रचला आहे. This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
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एकनाथी भागवत - श्लोक ७ वा
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
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प्रैयमेध
Meanings: 4; in Dictionaries: 2
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समारोप
Meanings: 10; in Dictionaries: 6
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जीवल
Meanings: 8; in Dictionaries: 4
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कर्मनिष्ठ
Meanings: 10; in Dictionaries: 7
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एकनाथी भागवत - श्लोक ४२ वा
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
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भावगंगा - यज्ञ
स्वाध्याय-प्रेमाने तुडुंब भरून वाहणारी ही भावगंगा आहे.
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आग्रयण
Meanings: 15; in Dictionaries: 6
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कर्मठ
Meanings: 17; in Dictionaries: 9
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धार्य
Meanings: 18; in Dictionaries: 4
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धर्मसिंधु - होमप्रकरण
हिंदूंचे ऐहिक, धार्मिक, नैतिक अशा विषयात नियंत्रण करावे आणि त्यांना इह-परलोकी सुखाची प्राप्ती व्हावी ह्याच अत्यंत उदात्त हेतूने प्रेरित होउन श्री. काशीनाथशास्त्री उपाध्याय यांनी ’धर्मसिंधु’ हा ग्रंथ रचला आहे. This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
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धर्मसिंधु - आग्रयणगौणप्रकार
हिंदूंचे ऐहिक, धार्मिक, नैतिक अशा विषयात नियंत्रण करावे आणि त्यांना इह-परलोकी सुखाची प्राप्ती व्हावी ह्याच अत्यंत उदात्त हेतूने प्रेरित होउन श्री. काशीनाथशास्त्री उपाध्याय यांनी ’धर्मसिंधु’ हा ग्रंथ रचला आहे. This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
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संत जनाबाई - येरीकडे ताराराणी । द्विजा...
जनाबाई, दासीपणाची कामे करीत असताना तिच्या मनाने, अभंगांतून आध्यात्मिक प्रगती आणि पारमार्थिक उन्नती केली.
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धर्मसिंधु - पत्नी मृत झाली असता
हिंदूंचे ऐहिक, धार्मिक, नैतिक अशा विषयात नियंत्रण करावे आणि त्यांना इह-परलोकी सुखाची प्राप्ती व्हावी ह्याच अत्यंत उदात्त हेतूने प्रेरित होउन श्री. काशीनाथशास्त्री उपाध्याय यांनी ’धर्मसिंधु’ हा ग्रंथ रचला आहे. This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
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धर्मसिंधु - प्रतिपदादि निर्णय
हिंदूंचे ऐहिक, धार्मिक, नैतिक अशा विषयात नियंत्रण करावे आणि त्यांना इह-परलोकी सुखाची प्राप्ती व्हावी ह्याच अत्यंत उदात्त हेतूने प्रेरित होउन श्री. काशीनाथशास्त्री उपाध्याय यांनी ’धर्मसिंधु’ हा ग्रंथ रचला आहे. This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
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अग्निमुखि हवन
प्रस्तुत ओव्या वाचत असताना साधक एका वेगळ्याच अनुभवानं भारला जातो.
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तृतीयपरिच्छेद - औपासनाग्नीचें आधान
निर्णयसिंधु ग्रंथामध्ये कोणत्या कर्माचा कोणता काल , याचा मुख्यत्वेकरून निर्णय केलेला आहे .
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धर्मसिंधु - स्मार्ताग्नि मत
हिंदूंचे ऐहिक, धार्मिक, नैतिक अशा विषयात नियंत्रण करावे आणि त्यांना इह-परलोकी सुखाची प्राप्ती व्हावी ह्याच अत्यंत उदात्त हेतूने प्रेरित होउन श्री. काशीनाथशास्त्री उपाध्याय यांनी ’धर्मसिंधु’ हा ग्रंथ रचला आहे.
This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
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आधान
Meanings: 32; in Dictionaries: 7
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एकनाथी भागवत - श्लोक १६ वा
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
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एकनाथी भागवत - श्लोक ३४ वा
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.0003194945 | Lang: NA
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एकनाथी भागवत - श्लोक २३ वा
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
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तृतीयाः पाद: - सूत्र ४३
ब्रह्मसूत्र वरील हा टीका ग्रंथ आहे. ब्रह्मसूत्र ग्रंथात एकंदर चार अध्याय आहेत.
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एकनाथी भागवत - श्लोक २७ वा
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
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श्री सच्चिदानंद विद्याशंकर भारती
दत्त संप्रदायातील सत्पुरूष
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परम् सदगुरू श्री गजानन महाराज, अक्कलकोट
दत्त संप्रदायाचे प्रवर्तक श्रीचक्रधर यांची परंपरा दत्तात्रेय-चांगदेव राऊळ-गुंडम राऊळ-चक्रधर अशी आहे.
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इष्टि
Meanings: 33; in Dictionaries: 6
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