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देव न मारे लाठीसे, कुमत देत चढाय

   
Script: Devanagari

देव न मारे लाठीसे, कुमत देत चढाय

   (हिं.) दुष्कृ त्याला शिक्षा म्हणून देव प्रत्यक्ष काठीनें मारीत नाहीं तर त्या माणसाला कुबुद्धि देतो व त्यामुळे त्याचा नाश आपोआप होतो. -सवि ११८१.

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